
सोमनाथ गुप्ता।
राजेश भटनागर
अहमदाबाद. राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील के ब्रह्माबास गांव मूल निवासी और अहमदाबाद में जन्मे सोमनाथ गुप्ता उन चुनिंदा प्रवासी राजस्थानियों में हैं, जिन्होंने परदेस में रहते हुए भी अपनी जड़ों से नाता निभाया और समाज में उल्लेखनीय योगदान दिया।
शिक्षक के रूप में कॅरियर शुरू करने वाले सोमनाथ आज शहर के प्रतिष्ठित व्यापारियों व समाज सेवी में गिने जाते हैं। साथ ही शिक्षा और धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भूमिका ने उन्हें एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है।
24 अप्रेल 1950 को अहमदाबाद में जन्मे सोमनाथ गुप्ता के दादा दुर्गा प्रसाद गुप्ता 1945 में और पिता रामचरण गुप्ता 1947 में अहमदाबाद आए थे। पिता शिक्षक थे इसलिए घर में शिक्षा और संस्कार का मजबूत माहौल था। सरसपुर में बचपन और रखियाल हिंदी हाईस्कूल से प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने भवंस कॉलेज से बीएससी, स्कूल ऑफ साइंस से एमएससी और नानावटी कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की। शिक्षा के इसी वातावरण ने उन्हें भी अध्यापन की ओर अग्रसर किया, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर 1973 से 1980 तक एसबीआई मुख्य शाखा (लाल दरवाजा) में सेवाएं दीं।
इसके बाद व्यापार में रुचि के कारण पांच भाइयों ने मिलकर हार्डवेयर के क्षेत्र में कदम रखा। 1986 में सोमनाथ ने स्वतंत्र रूप से हार्डवेयर के व्यापार को आगे बढ़ाया। व्यापारियों को संगठित करने की सोच से उन्होंने गुजरात हार्डवेयर एसोसिएशन बनाई, जिसमें 1500 सदस्य जोड़े।
अग्रवाल समाज के लोगों को एकजुट करने और समाजसेवा की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने 2008 में श्री महाराजा अग्रसेन सेवा संस्थान की स्थापना की। 2018 तक वे इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे और वर्तमान में आजीवन चेयरमैन के रूप में सेवा दे रहे हैं। संस्थान के माध्यम से महिलाओं और युवाओं की शिक्षा, प्रशिक्षण व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए उनके प्रयास लगातार जारी हैं।
जरूरतमंद विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर और सीए बनने में सहयोग देना उनका प्रमुख मिशन है। इससे पहले वे 1995 से चिन्मयानंद मिशन से जुड़े और मानद सचिव के रूप में 10 साल तक सेवा कार्य किया।
धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उनकी विशेष पहचान है। बृज भूमि से लगाव के कारण उन्होंने समाज में गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू करवाई। वे महाराजा अग्रसेन जयंती पर शोभायात्रा और विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों के जरिए समाज को सनातन संस्कृति से जोड़ने का काम कर रहे हैं। साथ ही हरिद्वार के योगग्राम से समाज के लोगों को जोड़ते हुए गुजरात के तीन शहरों -अहमदाबाद, राजकोट और जूनागढ़ में भी इसकी शाखाएं स्थापित कराने में योगदान दिया।
उनका मानना है कि युवा और महिलाएं ही समाज की वास्तविक प्रगति का आधार हैं। वे कहते हैं कि शिक्षा और व्यापार दोनों में मजबूती परिवार और समाज को आगे बढ़ाते हैं। परिवार से जुड़कर, व्यापार को विस्तार देकर और समाज की सेवा करते हुए ही असली उन्नति मिलती है।
Published on:
11 Dec 2025 10:42 pm
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