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गोधरा कांड: उम्रकैद में बदली 11 की फांसी

गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन में 59 कारसेवकों की हत्या प्रकरण को लेकर जुड़ी अपील याचिकाओं पर सोमवार को

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Godhra scandal: hanging 11 for life imprisonment

Godhra scandal: hanging 11 for life imprisonment

अहमदाबाद।गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन में 59 कारसेवकों की हत्या प्रकरण को लेकर जुड़ी अपील याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है वही 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। न्यायाधीश अनंत एस. दवे व न्यायाधीश जी. आर. उधवानी की खंडपीठ ने निचली अदालत की ओर से बरी 63 जनों के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) की अपील याचिका खारिज कर दी।

साथ ही एसआईटी की ओर से 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बढ़ाने की अपील भी नामंजूर की। इस मामले में उच्च न्यायालय ने दोषियों की सजा के खिलाफ चुनौती याचिका भी खारिज कर दी। वहीं पीडि़तों की मुआवजे की गुहार को अंशत: गाह्य रखा। खंडपीट ने इस मामले में अप्रेल 2015 में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। उच्च न्यायालय ने फैसले की देरी पर खेद भी जताया।

कई सबूत ध्यान में रखे

खंडपीठ ने कहा कि इस प्रकरण में कई सबूतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला दिया गया है। इसमें घायल गवाहों, रेल यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), गोधरा शहर पुलिस, फायर ब्रिगेड, गुजरात रेलवे पुलिस बल कर्मचारी, एफएसएल सहित अन्य की गवाही के साथ-साथ स्वीकारोक्ति बयान को ध्यान में रखा है।

यह था मामला

27 फरवरी 2002 को गुजरात रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे डिब्बे में आग के कारण 59 कार सेवकों की मौत हो गई थी। यह कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना के बाद राज्य भर में व्यापक दंगे हुए थे जिसमें एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे वहीं कई अन्य घायल हुए थे।

निचली अदालत ने सुनाया था यह फैसला

विशेष अदालत ने इस मामले में वर्ष 2011 में 31 आरोपियों को हत्या व आपराधिक आपराधिक षड्यंत्र मानते हुए 11 को फांसी तथा 20 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी वहीं 63 अन्य को बरी कर दिया था। विशेष अदालत ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस करार दिया था। आजादी के बाद यह पहली बार था जब किसी एक मामले में ११ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा

खंडपीठ ने राज्य सरकार के साथ-साथ रेलवे प्रशासन को इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा देने को कहा। यह मुआवजा गुजरात सरकार व रेल मंत्रालय से 6 सप्ताह के भीतर देने को कहा गया है। वहीं घायलों को उनकी विकलांगता की स्थिति के हिसाब से मुआवजा देना होगा। यह मुआवजा इस मामले से जुड़े किसी भी मुआवजे से पूरी तरह अलग होगा। खंडपीठ ने कहा कि इस प्रकरण में मुआवजे के मुद्दे पर निचली अदालत ने गौर नहीं किया था। मुआवजे पर इस फैसले में अलग से बातें कही गई हैं।

टिप्पणी... सरकार और रेल प्रशासन फेल

गुजरात हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा की गुजरात सरकार व रेलवे प्रशासन इस घटना में कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही। हाईकोर्ट ने मामले में निचली अदालत की ओर से जारी किए गए सभी लोगों के खिलाफ दायर अपील याचिका की खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने मई 2015 में फैसला सुरक्षित रखा था।