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डमी स्कूल: कागजों पर ही 11वीं-12वीं की पढ़ाई कर रहे कोचिंग लेने वाले विद्यार्थी

GSEB members says, dummy school run in state, action required -जीएसईबी सदस्यों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की जांच व कार्रवाई की मांग-12वीं साइंस संकाय के बोर्ड परीक्षा परिणाम में गिरावट पर जताई चिंता

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डमी स्कूल: कागजों पर ही 11वीं-12वीं की पढ़ाई कर रहे कोचिंग लेने वाले विद्यार्थी

डमी स्कूल: कागजों पर ही 11वीं-12वीं की पढ़ाई कर रहे कोचिंग लेने वाले विद्यार्थी

Ahmedabad. गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (जीएसईबी) के सदस्य धीरेन व्यास और डॉ.प्रियवदन कोराट ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को शुक्रवार को पत्र लिखकर राज्य में कई डमी स्कूलों के चल रहे होने की बात कही है। उन्होंने ऐसे डमी स्कूलों की जांच कराने और तत्काल प्रभाव से उन्हें बंद कराने की मांग की है।पत्र में कहा है कि 12वीं विज्ञान संकाय की बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद आईआईटी-बीटेक, एमबीबीएस जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिलता है। शहरों में बीते कुछ समय से आईआईटी में प्रवेश के लिए अनिवार्य जेईई एडवांस और एमबीबीएस में प्रवेश के लिए जरूरी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की तैयारी कराने वाली कई कोचिंग इंस्टीट्यूट्स खुले हैं। इनमें बच्चों को 11वीं कक्षा से ही प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में बच्चे 11वीं-12वीं की पढ़ाई स्कूलों में करने की जगह इन कोचिंग इंस्टीट्यूट में जेईई एडवांस और नीट की तैयारी के लिए प्रवेश लेते हैं। ऐसे बच्चों को कई डमी स्कूल हैं, जो 11वीं कक्षा में प्रवेश देते हैं। यह बच्चे 11वीं और 12वीं बोर्ड की पढ़ाई इन डमी स्कूलों (कागजों पर चलने वाले) में करते हैं। यानि वे स्कूल नहीं जाते फिर भी उनकी उपस्थिति लगती है। ऐसे स्कूल इसके लिए ऊंची फीस लेते हैं। ऐसी डमी स्कूलों में शिक्षक नहीं होते। शिक्षक भी कागजों पर ही होते हैं। जिसके चलते वे अपने शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए भी नहीं भेजते हैं। किसी प्रकार से ऐसे स्कूल 12वीं विज्ञान संकाय की प्रायोगिक परीक्षाओं का केन्द्र भी प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे डमी स्कूलों के चलते गुजरात बोर्ड का 12वीं विज्ञान संकाय का शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है। इसलिए जरूरी है कि ऐसी डमी स्कूलों की जांच करके उन पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए और उन्हें बंद कराया जाए। कानूनी कार्रवाई की जाए।

डॉ.कोराट ने कहा कि ऐसी डमी स्कूल न सिर्फ जीएसईबी से संबंद्ध हैं, बल्कि कई स्कूल सीबीएसई से भी संबद्ध होने का पता चला है। 12वीं साइंस का इस साल 6.44 प्रतिशत कम परिणाम चिंताजनक है। ऐसी डमी स्कूलों के बच्चे स्कूल ही नहीं जाते। ना ही प्रयोग करते हैं। कोराट ने कहा कि स्कूल मां होती है, कोचिंग क्लास आया की तरह है। बच्चे को संस्कार तो मां से ही मिल सकते हैं।