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गुजरात हाईकोर्ट का सवाल : किस नियम के तहत पार्किंग चार्ज वसूलते हैं मॉल-मल्टीप्लेक्स?

-व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को पार्किंग चार्ज लेने का अधिकार नहीं -संचालकों ने एकल पीठ के फैसले को दी है चुनौती

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गुजरात हाईकोर्ट का सवाल : किस नियम के तहत पार्किंग चार्ज वसूलते हैं मॉल-मल्टीप्लेक्स?

अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने मॉल-मल्टीप्लेक्स संचालकों से यह सवाल किया कि किस नियम के तहत लोगों से पार्किग चार्ज वसूल किया जाता है? प्रभारी मुख्य न्यायाधीश अनंत एस. दवे व न्यायाधीश बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने मंगलवार को मॉल मल्टीप्लेक्स संचालकों की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि किन नियमों के तहत लोगों से पार्किंग चार्ज वसूलने का अधिकार मिला है। जीडीसीआर के तहत चार्ज लेने की बात नहीं कही गई है। खंडपीठ ने यह भी भी टिप्पणी की कि कल मॉल-मल्टीप्लेक्स उनके यहां आने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क भी वसूल सकते हैं। इस प्रकार पार्किंग चार्ज लेने का अधिकार मॉल-मल्टीप्लेक्स के संचालकों को नहीं है।
मॉल मल्टीप्लेक्स संचालकों की ओर से समक्ष यह दलील दी गई कि एकल पीठ ने पार्किंग चार्ज के मुद्दे पर उनके पक्ष में फैसला दिया है।
तब खंडपीठ ने यह कहा कि एकल पीठ के फैसले से सहमत होना जरूरी नहीं है।
इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार से बांबे पुलिस एक्ट के प्रावधानों के तहत पार्किंग व ट्रैफिक के मुद्दे पर कार्रवाई करने की बात कही। इस मामले की अगली सुनवाई 30 नवम्बर को होगी।

इससे पहले सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मॉल, मल्टीप्लेक्स व अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान के संचालक अपने यहां आने वाले ग्राहकों से पार्किंग चार्ज नहीं वसूल सकते। मॉल व मल्टीप्लेक्स में आने वाले लोग उनके ग्राहक हैं और ऐसे में इन लोगों से पार्किंग चार्ज नहीं लिया जा सकता।
मॉल व मल्टीप्लेक्स संचालकों ने अपने आने वाले ग्राहकों से पहले घंटे में नि:शुल्क पार्किंग की सुविधा मुहैया कराने के एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी है।
खंडपीठ ने एक बारगी तो याचिकाकर्ताओं से याचिका वापस लेने की बात कह दी और साथ में यह भी कहा कि यदि ऐसा नहीं करते हैं तो मॉल-मल्टीप्लेकस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले उच्च न्यायालय की अन्य खंडपीठ ने ट्रैफिक व पार्किंग की समस्या के निवारण के लिए पुलिस व प्रशासन को निर्देश दिया था। इस निर्देश के तहत मॉल व मल्टीप्लेक्स को नोटिस देकर नि:शुल्क पार्किंग की सुविधा की बात कही थी। इस नोटिस को मॉल व मल्टीप्लेक्स संचालकों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
इस पर एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि इन प्रतिष्ठानों को अपने यहां आने वाले लोगों को पहले घंटे में नि:शुल्क पार्किंग मुहैया करानी होगी और इसके बाद के समय के लिए तार्किक फीस वसूली जा सकती है। हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि ये प्रतिष्ठान दुपहिया वाहनों से प्रतिदिन अधिकतम 10 रुपए तथा फोर व्हीलर (चौपहिया वाहनों) से प्रतिदिन अधिकतम 30 रुपए चार्ज वसूल सकते हैं। साथ ही राज्य सरकार से पार्किंग नीति बनाने को कहा था।
इस आदेश के बाद कई मॉल-मल्टीप्लेक्स संचालकों ने नि:शुल्क पार्किंग के आदेश के फैसले को चुनौती दी है। इसमें कहा गया कि नि:शुल्क पार्किंग का आदेश असंवैधानिक व गैरकानूनी है।