
Ahmedabad. न्याय प्रक्रिया को तेज, सुगम व सरल बनाने के लिए राज्य सरकार तकनीक का अधिकतम उपयोग कर रही है। गुजरात पुलिस, जेल और न्यायपालिका के आपसी समन्वय से अदालतों में होने वाली कैदियों की पेशी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करने में गुजरात अग्रणी राज्यों में है। इससे पुलिस के मानव संसाधन, समय और धन की बचत हुई है।
गुजरात सरकार की ओर से दी गई जानकारी के तहत राज्य की जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) प्रणाली के माध्यम से गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में राज्य भर की अदालतों में कैदियों की अदालतों में पेशी की व्यवस्था शुरू की। इसके तहत राज्यभर की जेलों में 1100 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम (वीसी) स्थापित किए, जिनमें से राज्य की जेलों में सॉफ्टवेयर-आधारित वी.सी. सिस्टम की 23 इकाइयां आवंटित की गईं। अभी राज्य की जेलों में सॉफ्टवेयर आधारित 83 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम कार्यरत हैं।
गुजरात जेल विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कैदियों की कोर्ट में पेशी की पद्धति अपनाने के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। वर्ष 2024 (जनवरी से जून-2024) में सभी जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 40,633 कैदियों को कोर्ट में पेश किया गया। यानी औसतन 29% कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पद्धति से की गई। वर्ष 2025 (जनवरी से जून-2025) के दौरान छह महीनों में यह आंकड़ा बढ़कर 41% पर पहुंच गया। इन 6 महीनों में 53,672 कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। यह इस प्रणाली की सफलता और बढ़ते उपयोग को दर्शाता है।
डीजीपी विकास सहायक और जेलों के डीजीपी डॉ.के.एल.एन.राव के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली से कैदियों की पेशी होने के चलते कैदियों को जेल से कोर्ट ले जाने और कोर्ट से जेल लाने में लगने वाली पुलिस कर्मचारियों के मानव संसाधन, उनके समय और धन की बचत हुई है। इसकी जगह ऐसे पुलिस कर्मचारियों को अब अन्यत्र ड्यूटी सौंपना संभव हुआ है। इससे पुलिस विभाग की कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है। इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आई है।
Published on:
17 Jul 2025 10:21 pm
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