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गुजरात डायलिसिस प्रोग्राम के अन्तर्गत 30 किलोमीटर के दायरे में डायलिसिस केन्द्र कार्यरत

-दस वर्ष में पौने नौ लाख हो चुकी है निशुल्क डायलिसिस

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गुजरात डायलिसिस प्रोग्राम के अन्तर्गत 30 किलोमीटर के दायरे में डायलिसिस केन्द्र कार्यरत

गुजरात डायलिसिस प्रोग्राम के अन्तर्गत 30 किलोमीटर के दायरे में डायलिसिस केन्द्र कार्यरत

अहमदाबाद. गुजरात डायलिसिस प्रोग्राम (जीडीपी) के अन्तर्गत हर 30 किलोमीटर के दायरे में एक डायलिसिस सेंटर कार्यरत किया जा चुका है। इस तरह से फिलहाल राज्य के विविध भागों में 47 सेंटर कार्य रत हैं और इन सभी केन्द्रों पर राज्यवासियों को निशुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध हो रही है। आगामी दिनों में इन केन्द्रों को बढ़ाकर 60 करने की दिशा में काम किया जा रहा है। राज्य सरकार की इस योजना का संचालन अहमदाबाद स्थित किडनी अस्पताल की ओर से किया जा रहा है।
जीडीपी प्रोग्राम संपूर्ण रूप से राज्य सरकार की ओर से जारी है, जो भारत देश में अनूठी सुविधा है। हाल में राज्य में इस तरह के 47 डायलिसिस केन्द्र कार्यरत हैं। इन केन्द्रों पर डायलिसिस की 500 से अधिक मशीनें हैं। सभी मशीनें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं। एक बार उपयोग में लिए जाने वाली डायलिसिस ट्यूबिंग पद्धति का ही उपयोग किया जाता है। जिससे एक मरीज से दूसरे को संक्रमण लगने की संभावना कम रहती हैं। राज्य में इसी तरह के 13 केन्द्र आगामी दिनों में शुरू किए जाएंगे। कुल साठ केन्द्र कार्यरत करने की दिशा में सरकार काम कर रही है। इस प्रोग्राम के अन्तर्गत सभी सेंटरों पर निशुल्क डायलिसिस होती है। इस प्रोग्राम के अन्तर्गत राज्य में पिछले दस वर्ष में पौने नौ लाख से अधिक मरीजों को निशुल्क डायलिसिस की जा चुकी है।

पहले दो ही सेंटरों पर होती थी डायलिसिस
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल कैंपस में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिसिज एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) एवं नडियाद स्थित मूलजी अस्पताल में ही डायलिसिस की सुविधा थी। जिससे राज्यभर के मरीजों को इन दोनों ही अस्पतालों में डायलिसिस कराने के लिए आना पड़ता था। लेकिन गुजरात सरकार ने हर जिले में निशुल्क डायलिसिस केन्द्र स्थापित करने की दिशा में कदम उठाने शुरू किए थे। जिसके बाद अब सभी हरेक 30 किलोमीटर के दायरे में डायलिसिस केन्द्र स्थापित कर दिए गए हैं।

जीडीपी का संचालन करती है आईकेडीआरसी
राज्य सरकार के इस प्रोग्राम का संचालन आईकेडीआरसी अर्थात सिविल अस्पताल कैंपस स्थित किडनी अस्पताल की ओर से किया जाता है। कोरोना के कारण उत्पन्न विपरीत स्थितियों में भी इन सेंटरों में से एक भी बंद नहीं किया गया था। किडनी अस्पताल के नेफ्रोलोजी और ट्रान्सप्लान्ट विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु पटेल ने बताया कि किडनी की विफलता के बाद डायलिसिस करना जरूरी हो जाता है। सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस कराना होता है। जिसके लिए प्रतिमाह लगभग तीस हजार रुपए का खर्च आता है। लेकिन राज्य के नागरिकों के लिए इस प्रोग्राम के अन्तर्गत निशुल्क डायलिसिस की जाती है।