
Gujarat: साबरमती आश्रम को मिलेगा नया लुक, बरकरार रहे सादगी भी
उदय पटेल
अहमदाबाद. देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम को कर्मस्थली के रूप में चुना था। दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने इसी जगह से आजादी की अलख जगाने की शुरुआत यहीं से करने के लिए 1917 में इस आश्रम की स्थापना की थी। यहां पर 1930 तक रहे। अब १०० वर्ष बाद साबरमती आश्रम को नया लुक देने की योजना के लिए साबरमती आश्रम रिडवलपमेंट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नवीनीकरण के तहत यह आश्रम विश्व स्तरीय का बनेगा जहां पर देशी-विदेशी पयर्टकों को ज्यादा सहूलियत होगी।
करीब 130 कार्यकर्ताओं व गांधीवादी इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध जता चुके हैं।
केन्द्र सरकार के मातहत गुजरात सरकार के सहयोग से बनने वाले इस प्रोजेक्ट में करीब 1200 करोड़ की लागत आएगी। 55 एकड़ में प्रस्तावित प्रोजेक्ट के करीब ढाई से 3 वर्ष में पूरा होने की संभावना जताई जाती है।
राज्य सरकार ने इसे विश्व स्तरीय मेमोरियल बनाने के लिए गांधी आश्रम मेमोरियल एंड प्रिसिंक्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का गठन किया है।
फिलहाल 35 एकड़ में फैले इस आश्रम परिसर में 63 हेरिटेज संपत्तियां है। आजादी के बाद इस आश्रम को पांच ट्रस्ट में विभाजित किया गया। इनमें साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट, साबमती आश्रम गौशाला ट्रस्ट, हरिजन आश्रम ट्रस्ट, हरिजन सेवक संघ व खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति शामिल हैं।
इस प्रोजेक्ट को लेकर कुछ लोगों से बातचीत की गई, पेश है इस बातचीत के कुछ अंश:
सुविधाएं बढ़ेंगी, होगी सहूलियत
आश्रम के नए प्रोजेक्ट से पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी। यहां पर गांधी जी का बड़ा म्यूजियम होगा। नए रास्ते बनेंगे। गार्डन-बगीचे होंगे। हाई-फाई कुछ नहीं होगा। गांधीजी से जुड़ी सभी वस्तुओं को उसी रूप में रखी जाएगी। आश्रम से जुड़ी सभी गतिविधियां चलती रहेंगी।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह है कि इसे विश्व प्रसिद्ध स्थल पर ज्यादा सुविधाएं हों जिससे विदेशी के साथ-साथ कोई भी पर्यटक चार-पांच घंटे बैठकर यहां पर गांधीजी के सिद्धांतों से रूबरू हो। गांधीजी की विचारधारा पूरे विश्व में फैले यही उद्देश्य है। जिनकी जमीन ली गई है उन लोगों को 60 लाख रुपए की मदद दी गई है। साथ ही जिन्हें रकम नहीं चाहिए उन्हें फ्लैट भी दिया जा रहा है। इस तरह इस नए प्रोजेक्ट से पर्यटक ज्यादा संख्या में आएंगे और उन्हें ज्यादा सहुलियत रहेगी।
नरहरि अमीन, आश्रम के नवीनीकरण काउंसिल के सदस्य
गांधीजी से जुड़ी भावना को ठेस नहीं लगनी चाहिए
हालांकि इस प्रोजेक्ट को लेकर कई अरसे से बात चल रही थी। लेकिन यह आकार नहीं ले पा रहा था। अब सरकार ने इसका जिम्मा लिया है हालांकि इसमें कोई भी ऐसी चीज ना बनें जिससे गांधी जी के मूल्यों को चोट नहीं पहुंचे। क्योंकि गांधीजी सादगी में विश्वास रखते थे। सरकार की ओर से कहा गया है कि इसमें गांधीजी की मूल्यों से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय छवि का विषय है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि आश्रम में विरासत के मकानों में छेड़छाड़ नहीं होगी। यदि कुछ हिस्सा टूट गया हो तो उसकी मरम्मत होगी। हालांकि श्रद्धा के स्थलों को पर्यटन स्थल नहीं बनाना चाहिए। यहां पर हजारों लोग गांधीजी के जुड़ाव से दर्शन करने आते हैं इसलिए गांधीजी से जुड़ी उस भावना को ठेस नहीं लगनी चाहिए।
सुदर्शन आयंगर, ट्रस्टी, साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन ट्रस्ट सह साबरमती गौशाला आश्रम
विरोध नहीं, लेकिन हटाना उचित नहीं
आश्रम के विश्व स्तरीय प्रोजेक्ट बनाने को लेकर कोई विरोध नहीं है आश्रम में सबसे पहले चरखा कातने के परिवार के रूप में उनका परिवार यहां आया था। तब से उनकी पांचवी पीढ़ी यहां रह रही है। लेकिन एक आश्रमवासी के रूप में यहां से उन्हें हटाना उचित नहीं होगा। हमें हमारे मकान में ही रहने देना चाहिए।
जनेश बढिया, गांधीजी के चरखा गुरु माने जाने वाले रामजी बढिया के प्रपौत्र
जगह छोडक़र जाने की इच्छा नहीं
साबरमती आश्रम के नजदीक रहनेे वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि वे 1976 से ही यहां पर हैं। हालांकि इस स्थान को छोडक़र उन्हें जाने की इच्छा नहीं हैं।
Published on:
01 Oct 2021 08:59 pm
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