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गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनेगी उच्च स्तरीय समिति

Gujarat to set up panel to implement Uniform Civil Code विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार का बड़ा निर्णय, उत्तराखंड की तर्ज पर होगा, कैबिनेट की बैठक में निर्णय, इससे जुड़े सभी अधिकार मुख्यमंत्री को सौंपे, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित होगी समिति

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गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनेगी उच्च स्तरीय समिति

गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनेगी उच्च स्तरीय समिति

Ahmedabad. गुजरात सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले एक अहम निर्णय किया है। राज्य में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने के लिए समिति के गठन को कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है। गुजराती नव वर्ष में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्णय किया गया है। समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। इसमें तीन से चार सदस्य होंगे। यह समिति राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट देगी और उसके आधार पर आगे का निर्णय किया जाएगा। इसकी जानकारी शनिवार को केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला और गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने संवाददाताओं को दी।
गुजरात सरकार से पहले उत्तराखंड सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए इस वर्ष मई में उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्णय किया जा चुका है। इसी तर्ज पर गुजरात सरकार ने यह निर्णय किया है। गृह राज्य मंत्री संघवी ने बताया कि देश के संविधान के भाग चार की धारा 44 में प्रत्येक राज्य को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने राज्य में प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून लागू कर सकता है। इसे देखते हुए गुजरात सरकार की कैबिनेट में महत्वपूर्ण निर्णय किया है, जिसके तहत गुजरात में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी। समिति के गठन से लेकर इससे जुड़े सभी फैसले लेने के अधिकार मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को सौंपे गए हैं।

समिति रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगी
केन्द्रीय मंत्री रूपाला ने बताया कि गुजरात सरकार ने घोषणा कर दी है। इसके तहत मुख्यमंत्री को अधिकार दे दिया गया है कि वह इससे जुड़ी उच्च स्तरीय समिति का गठन करेंगे। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में यह समिति गठित होगी, जिसमें तीन से चार सदस्य होंगे। समिति इससे जुड़े सभी लोगों से बातचीत करेगी और उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करके राज्य सरकार को सौंपेगी। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर इसे राज्य में लागू करने का रास्ता खुल जाएगा।

समय आने पर केन्द्र भी करेगा विचार
रूपाला ने कहा कि उत्तराखंड के बाद गुजरात सरकार ने भी यूसीसी लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह अहम पहल है। ऐसे में इसके देशभर में लागू होने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। केन्द्र सरकार भी इस बारे में योग्य समय आने पर जरूर विचार करेगी।

संपत्ति विवाद निपटाने में होगी आसानी
रूपाला ने बताया कि आपराधिक मामलों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए एक समान कानून है। लेकिन संपत्ति और पैतृक संपत्ति के मामले में धर्म, संप्रदाय के आधार पर बने कानूनों के चलते विवाद हल करने को लेकर कानूनों में विसंगतता है। इसके चलते देश के नागरिकों को एक समान अधिकार नहीं मिल पाते हैं, जिससे कई विवाद होते हैं। ऐसे विवादों को हल करने में आसानी हो और देश में नागरिकों को उनके धर्म या संप्रदाय के आधार पर नहीं बल्कि एक समान कानून के आधार पर न्याय मिले उसे देखते हुए यह यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने का विचार है। इसमें विवाह, संपत्ति, उत्तराधिकार, दत्तक, तलाक, जमीन, वंशानुगत संपत्ति अधिकार, दहेज, वक्फ, परवरिश, भेंट दान और परिवार फंड जैसे मामलों में एकरूपता आएगी। इससे संविधान में लोगों को दिए गए अधिकारों से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी।
राज्य के प्रवक्ता मंत्री जीतू वाघाणी ने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के अमल को लेकर राज्य के नागरिकों की वर्षों पुरानी आशा समिति के गठन से पूरी होगी। ऐसे में मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी नागरिकों का आभार माना है।

क्या है समान नागरिक संहिता?
यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का अर्थ है सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम होना। इसका मतलब भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। संहिता के लागू होने पर विवाह, तलाक, जमीन-जायदाद के बंटवारे सभी में एक समान कानून लागू होगा, जिसका पालन सभी धर्मों के लोगों को करना अनिवार्य होगा।

यूनिफार्म सिविल कोड भाजपा के एजेंडे में शामिल
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता को शामिल किया था। यह ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से चर्चा में रहा है। भाजपा का मानना है कि समानता तभी आएगी, जब यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया जाएगा।