गांधीनगर. गुजरात विधानसभा में शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों ने दलित और पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय को न्याय देने के मुद्दे पर सदन से वॉकआउट किया। कांग्रेस के विधायक दल के नेता अमित चावड़ा के नेतृत्व में पार्टी के विधायकों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और इन समुदायों से अन्याय का करने का आरोप लगाया। सदन में शुक्रवार को सामाजिक सुरक्षा और कल्याण विभाग की मांगों को लेकर चर्चा हुई। इसमें कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय का बजट बढ़ाने समेत कई मुद्दे उठाए थे। उन्होंने इन मुद्दों पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री भानूबेन बाबरिया से जवाब मांगा, लेकिन मंत्री के जवाब से विधायक मेवाणी संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने अपनी सीट से खड़े होकर फिर से मंत्री बाबरिया से जवाब चाहा, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ विधायक रमणलाल वोरा ने प्वाइन्ट ऑफ ऑर्डर उठाया और यह कहते हुए विरोध जताया कि जरूरी नहीं कि वे जो चाहें वैसा जवाब मंत्री दें। बाद में वोरा के समर्थन में भाजपा के अन्य विधायक भी अपने सीट से खड़े हो गए। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी ने सभी विधायकों को अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया और सदन के नियमों पर चर्चा करने की बात कही।
उधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने फिर सीट से खड़े होकर अपने साथी विधायक मेवाणी के सवालों का जवाब देने की मंत्री से इच्छा जाहिर की। बाद में कांग्रेस विधायक हाथों में पोस्टर लहराते और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकल गए।
एससी-एसटी मॉनिटरिंग कमिटी की बैठक क्यों नहीं बुलाई जातीउधर, अमित चावड़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की मांगें राज्य सरकार की पेश की गई। गई। पार्टी के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने उसमें सरकार से स्पष्ट तौर पर मांगें रखी थी कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मॉनिटरिंग कमिटी की बैठक क्यों नहीं बुलाई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यह बैठक वर्ष में दो बार बुलाई जाती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि थानगढ़ दलित प्रताड़ना मामले की रिपोर्ट के कई वर्षों बीत गए। यह रिपोर्ट पेश करने को लेकर बारंबार मांग की गई, फिर भी रिपोर्ट सदन में पेश नहीं की गई। ताजा मुद्दा महीसागर जिले का है जहां एक दलित बेटी पर अत्याचार हुआ है और वडोदरा के अस्पताल में उसका मृतदेह है। दो-तीन दिन बीतने के बाद भी इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती है।88 फीसदी आबादी को सिर्फ 166 करोड़ का बजट
उन्होंने आरोप लगाया कि एससी- एसटी को बजट आवंटन में बारंबार अन्याय क्यों होता है। राज्य में ओबीसी की आबादी 52 फीसदी, दलित 7 फीसदी, आदिवासी 14 फीसदी और मुस्लिमों की आबादी 9 फीसदी है। इस तरीके से 82 फीसदी आबादी ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहती हैं। इस आबादी के लिए बजट में सिर्फ 166 करोड़ का प्रावधान किया गया। जबकि शेष करीब 20 फीसदी आबादी के लिए 500 करोड़ का बजट किया गया है। यह बजट आवंटन में अन्याय है। इसका जब जवाब मांगा तो सरकार जवाब देने को तैयार नहीं है।