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बीस वर्ष में किए सैकड़ों पोस्टमार्टम

महिला मजबूत 'कलेजेÓ वाली...- गुजरात सहित देश में संभवत: पहली महिला शांताबेन -महिला दिवस पर विशेषर्ष में किए सैकड़ों पोस्टमार्टम

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Hundreds of postmortem done in twenty years

ओमप्रकाश शर्मा
अहमदाबाद. शहर के सोला सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में कार्य करने वाली शांताबेन मसार ने साबित कर दिया कि मजबूत कलेजे के मामले में महिलाएं पुरुषों से कहीं भी पीछे नहीं हैं। नाम के अनुरूप सरल स्वभाव की शांताबेन ने अब तक सौ-दो सौ नहीं बल्कि हजारों पोस्टमार्टम करवाए हैं। गुजरात में तो ऐसी पहली महिला है और संभवत: इस क्षेत्र में शांताबेन का देश में भी कोई मुकाबला नहीं होगा।
राजस्थान के केशरियाजी मूूल की और हाल में परिवार के साथ में अहमदाबाद रह रही शांताबेन शंकरभाई मसार (४२) करीब २० वर्ष पूर्व सोला सिविल अस्पताल में सफाईकर्मी के रूप में जुड़ी थीं। बाद में उन्हें पोस्टमार्टम रूम में भेजा गया। शांताबेन का कहना है कि शुरुआत में पोस्टमार्टम कक्ष में जाने से ही डर लगता था। लेकिन धीरे-धीरे कलेजा ऐसा मजबूत होता चला गया कि अब उन्हें किसी प्रकार का डर नहीं लगता। वे प्रतिदिन दो, तीन या चार पोस्टमार्टम करवाने में मदद करती हैं। पोस्टमार्टम कक्ष में इस महिला का काम शव की चीर-फाड़ और बाद में टांके लेना है। हालांकि शव परीक्षण का कार्य तो संबंधित चिकित्सक ही करते हैं।
पिछले बीस वर्ष में कितने पोस्टमार्टम में मदद की हैं यह खुद शांताबेन भी नहीं जानती। उन्होंने कहा कि एक माह में करीब सौ से अधिक पोस्टमार्टम में मदद करती हैं, सभी में शव की चीरफाड़ से लकर टांके लगाने के कार्य उनके ही जि?मे है। इस काम को करते हुए भले ही उनका कलेजा मजबूत हो गया हो लेकिन स्वभाव से वह दयालु हैं। ईश्वर में उनकी पूर्ण आस्था है।
नशे से रहती हैं दूर :
सोला सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एच.के. भावसार बताते हैं किआमतौर पर पोस्टमार्टम कक्ष में कार्य करने वाले कर्मचारियों में कोई न कोई व्यसन या नशे की लत लग जाती है, लेकिन शांताबेन इससे परे हैं। वे त?बाकू का भी सेवन नहीं करतीं। डॉ. भावसार का कहना है कि गुजरात में शांताबेन का काम अपने आप में अनूठा है। संभवत: देश में भी वे ऐसी पहली महिला हैं जो करीब बीस वर्ष से पोस्टमार्टम कक्ष में कार्य कर रही है। उन्होंने अपने दम पर दो से तीन हजार शवों के पोस्टमार्टम में मदद की है।
७० फीसदी विभागों में महिला प्रमुख :
विश्व महिला दिवस पर डॉ. भावसार बताते हैं कि सोला सिविल अस्पताल के ७० फीसदी विभागों में महिलाओं का बोलबाला है, अधिकांश एचओडी महिलाएं ही हैं।