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Gujarat Diamond Industry हीरे की चमक से श्रमिकों के गढ़ दाहोद की बदल रही पहचान

कोरोना काल के बाद दाहोद जिले में 15 से अधिक हीरा तराशने के कारखाने खुले

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Gujarat Diamond Industry हीरे की चमक से श्रमिकों के गढ़ दाहोद की बदल रही पहचान

Gujarat Diamond Industry हीरे की चमक से श्रमिकों के गढ़ दाहोद की बदल रही पहचान

दाहोद. पूरे राज्य में दाहोद का नाम वहां के श्रमिकों की मेहनत की वजह से लिया जाता है। यहां के श्रमिकों को निर्माण क्षेत्र से लेकर खेत-मजदूरी में पसीना बहाते अक्सर देखा जाता है। कोरोना काल के बाद दाहोद जिले की पहचान अब दूसरी होने लगी है। यहां हीरा घिसाई का काम भी शुरू हुआ जिससे दाहोद की एक अलग पहचान बनने लगी है। जिले के गरबाडा तहसील के नांदवा गांव के पर्वत गोहिल गरबाडा में कारखाना का संचालन कर कई लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दे रहे हैं।

लॉक डाउन से बदलाव
10वीं कक्षा में अनुत्तीण होने के बाद घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पर्वत गोहिल रोजगार के लिए सूरत चले गए। यहां उन्हें हीरा घिसाई के कारखाने में नौकरी मिली। वर्ष 1996-97 से वे लगातार इसी पेशे से जुड़े रहे। करीब 24-25 साल के अनुभव ने उन्हें इस क्षेत्र में पारंगत बना दिया। कोरोना महामारी में जब वर्ष 2020 में देश भर में लॉकडाउन लगा तो हीरा कारीगर भी बेरोजगार हो गए। पर्वत जिस कारखाने में नौकरी करते थे, वह कारखाना भी बंद हो गया। वे अपने गांव लौट आए और यहां खुदरा मजदूरी कर परिवार का निर्वाह करने लगे। इसी बीच उनके मन में दाहोद स्थित अपने गांव में ही हीरा कारखाना लगाने का विचार आया। इसके बाद उन्होंने अपने साथी हीरा कारीगरों से बातचीत कर इस दिशा में प्रयत्न शुरू किया।

साथी हीरा कारीगर जुड़े
कई साथी उनके साथ आ गए। इसके बाद उन्होंने सूरत की एक विख्यात हीरा कंपनी से बात कर कच्चे हीरा का प्रबंध किया। इसके बाद उन्होंने गरबाडा में कारखाना शुरू किया। इससे इस क्षेत्र के करीब 500 लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल गया। कारीगरों को घर के समीप ही रोजाना 600 से 700 रुपए की आवक शुरू हो गई। पर्वत के अन्य साथी मूल भावनगर के नरेन्द्र गोहिल ने बताया कि दाहोद में उन्होंने हीरा घिसाई का काम शुरू किया तो दूसरे बड़े हीरा व्यापारियों ने उन्हें कच्चे हीरा देने का आश्वासन दिया वहीं पॉलिश्ड हीरे का बाजार भी उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया। दाहोद में इसके बाद अन्य हीरा कलाकारों ने छोटे कारखानों की शुरुआत की जिससे इस क्षेत्र मेें करीब दो-ढाई साल में ही 15 से अधिक हीरा घिसाई के कारखाने शुरू हो गए। इससे जहां स्थानीय लोगों को नौकरी मिली वहीं इस क्षेत्र का नाम भी हीरा कारोबार से जुडऩे लगा है।