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IIMA Report: 55 फीसदी कर्मचारी ऑफिस में कर रहे एआई का उपयोग, 72 फीसदी ने कहा कार्यक्षमता बढ़ी

आईआईएम-ए की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कर्मचारी एआई संचालित परिवर्तन अपनाने को तैयार हैं। एआई के चलते 40 फीसदी को खुद के कौशल के बेमायने होने की भी चिंता है।

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IIMA Report

आईआईएम-ए में रिपोर्ट जारी करते संस्थान निदेशक प्रो.भरत भास्कर व अन्य।

भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) की नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 55 फीसदी कर्मचारी अपने कार्य स्थल (ऑफिस) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग कर रहे हैं। 72 फीसदी का मानना है कि इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ी है व बेहतर हुई है। हालांकि 40 फीसदी कर्मचारियों को भी चिंता है कि बढ़ते एआई प्रभाव के चलते कुछ वर्षों में उनका कौशल बेमायने हो जाएगा।

यह तथ्य आईआईएमए के द ब्रिज दिसा डेटा विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र (सीडीएसए) की ओर से वाधवानी फाउंडेशन के साथ मिलकर तैयार की गई एक अध्ययन रिपोर्ट में सामने आए हैं। इस रिपोर्ट को शुक्रवार को आईआईएम-ए निदेशक प्रो. भारत भास्कर, वाधवानी सरकारी डिजिटल परिवर्तन केंद्र के सीईओ प्रकाश कुमार, सीडीएएस के सह अध्यक्ष प्रो. श्रीराम शंकरनारायणन, और रिपोर्ट से जुड़े लोगों ने जारी किया।

एआई के बारे में श्रम-बल की धारणा - भारतीय वाइट-कॉलर कर्मचारियों पर एक अध्ययन -शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में पाया गया कि एआई का प्रभाव अब भविष्य की बात नहीं, बल्कि इसकी शुरुआत हो चुकी है।

इस रिपोर्ट के तहत किए गए सर्वे में शामिल 55 प्रतिशत कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यस्थलों पर एआई उपकरणों का इस्तेमाल किया है। 48 फीसदी ने कहा कि उनके संगठनों ने ही इन उपकरणों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया है। 72 प्रतिशत ने माना कि एआई से उनका कार्य प्रदर्शन बढ़ता है। 59 फीसदी का मानना है कि एआई उनकी नौकरी के कार्यों के लिए एक पूरक के रूप में काम करता है।

68 फीसदी कर्मचारियों को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में एआई आंशिक रूप से या पूरी तरह से उनकी नौकरियों को स्वचालित कर देगा। 40 फीसदी को इस बात की चिंता है कि इससे उनके वर्तमान कौशल बेकार हो सकते हैं। हालांकि, परिदृश्य इतना भी निराशाजनक नहीं है। 53 फीसदी सोचते हैं कि एआई नई नौकरियां भी पैदा करेगा।रिपोर्ट 31 व्यावसायिक अधिकारियों के साथ विस्तृत साक्षात्कार, 550 से अधिक वाइट-कॉलर कर्मचारियों के क्षेत्र सर्वेक्षण और सार्वजनिक डेटा स्रोतों से भारत में 70,000 से अधिक नौकरी रिक्तियों के विश्लेषण पर आधारित हैं।

मौजूदा शिक्षा पद्धति एआई के लिए श्रेष्ठ नहीं

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि वर्तमान स्नातक एवं स्नातकोत्तर सेटअप (शिक्षा पद्धति) एआई युग के लिए श्रेष्ठ नहीं है। हाल ही में स्नातक हुए लोगों और रोजगार इच्छुक कर्मचारियों (पांच वर्ष से कम अनुभव वाले) के बीच एआई उपकरण और एआई प्रशिक्षण के बारे में जागरूकताऔर अपनाए जाने की दर कम है। यह उनकी वर्तमान शिक्षा और प्रशिक्षण में अंतरका संकेत देती है, जिसे संगठन प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा कर सकते हैं।

शिक्षा, आईटी, स्वास्थ्य एआई अपनाने में आगे

सर्वे में सामने आया कि शिक्षा, आईटी, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र सक्रिय रूप से कर्मचारियों को एआई के बारे में प्रशिक्षित कर रहा है। खुदरा और व्यापार, और बुनियादी ढांचा क्षेत्र इस पहलू में पिछड़े हैं। वित्त और बीमा उद्योग अपने कर्मचारियों को एआई के बारे में प्रशिक्षित करने और उन्हें अवगत कराने में शीर्ष उद्योगों में शामिल नहीं है।

एआई अपनाने की महत्वपूर्ण जानकारी देती है रिपोर्ट: प्रो.भास्कर

आईआईएमए के निदेशक प्रो. भारत भास्कर ने कहा कि यह रिपोर्ट बहुत उचित समय पर आई है क्योंकि यह कर्मचारियों और व्यवसायों द्वारा दीर्घकालिक सफलता के लिए एआई के बारे में बढ़ती जागरूकता और उसे अपनाए जाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।

भारत के लिए एआई रणनीतिक अनिवार्यता: प्रो.चक्रवर्ती

इस अध्ययन के प्रधान अन्वेषक प्रो. अनिंद्य चक्रवर्ती ने कहा कि भारत के लिए एआई एक रणनीतिक अनिवार्यता है, जो इसकी आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। रोजगार पर एआई के नकारात्मक प्रभावों के बारे में वैश्विक चिंताओं को देखते हुए, भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र और नीति निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि एआई किस तरह रोजगार को बनाए रख सकता है और उसका पूरक बन सकता है, न कि उसका स्थान ले सकता है। एक मजबूत प्रतिभा समूह, एक जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और डेटा-समृद्ध वातावरण के साथ, भारत एआई उन्नति का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है।