
आईआईटी गांधीनगर में अहम शोध: नाइट्रोजन गैस अवशोषित करने वाले नैनो मटीरियल की खोज
Ahmedabad. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गांधीनगर की टीम ने एक ऐसा 2 डायमेंशन वाला नैनो मटीरियल खोजा है, जिसमें नाइट्रोजन गैस को अवशोषित करने की क्षमता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए किसी अतिरिक्त ऊर्जा या दबाव देने की जरूरत नहीं है। इस शोध से अमोनिया गैस उत्पादन सस्ता व प्रदूषण रहित बनाने में मदद मिलेगी।
आईआईटी गांधीनगर में कैमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर कबीर जसूजा, मटीरियल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर राघवन रंगनाथन, पीएचडी छात्र अंशुल रसयोत्रा की टीम की यह शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल नेनोस्केल में प्रकाशित हुई है।
प्रो.जसूजा ने बताया कि इस नैनो मटीरियल का नाम एक्सबीन्स है। यह बोरोन,टाइटेनियम और मैटल की परत (सैंडविच) वाला है। इसमें मैटल के कण बोरोन की परत के बीच में है। इस नए नैनो मटीरियल से नाइट्रोजन का रिएक्शन आसानी से स्वत: हो जा रहा है। जबकि नाइट्रोजन सामान्य तापमान पर रिएक्ट नहीं करती। लेकिन इस मटीरियल से रिएक्शन कराने पर वह कमरे के सामान्य तापमान(25 डिग्री सेल्सियस) पर ही रिएक्ट करती है। यदि इस नए नैनो मटीरियल को एक उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) के रूप में उपयोग करें तो इससे अमोनिया गैस का उत्पादन काफी आसान, सस्ते में हो सकता है। अमोनिया गैस उत्पादन के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है। इसके लिए हैबर ब्रॉस प्रोसेस की जाती है। जिसमें 450 डिग्री सेल्सियस जितनी ऊर्जा और 200 एटमोस्फेयर जितने उच्च दबाव की जरूरत होती है। जिससे वातावरण में प्रदूषण होता है। चूंकि यह नैनो मटीरियल 25 डिग्री तापमान पर ही रिएक्ट करता है इसलिए प्रदूषण नहीं होता। ऊर्जा की बचत होती है।
अंशुल बताते है कि इस शोध से सीखने को मिला कि वैज्ञानिक प्रयोग के परिणाम को अपनी समझ से देखने की जगह उस दिशा में प्रयत्न करना चाहिए जिस ओर ये परिणाम हमें ले जा रहे हैं।
कंप्यूटेशनल मॉडलिंग से समझने में मिली मदद
प्रो.राघवन रंगनाथन ने बताया कि नैनो मटीरियल में नाइट्रोजन के अवशोषित होने की प्रक्रिया समझने को कंप्यूटेशनल मॉडलिंग की गई। जिससे प्रयोग की परिकल्पना, परिणामों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली।
हाइड्रोजन स्टोरेज के लिए भी उपयोगी
प्रो.जसूजा ने बताया कि यह शोध न सिर्फ नाइट्रोजन को अवशोषित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इससे हाइड्रोजन को भी अवशोषित कर सकने की संभावना पैदा हुई है। ऐसे में यह हाइट्रोजन को स्टोर करने में भी उपयोगी हो सकती है।
Published on:
08 May 2023 01:58 pm
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