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विद्या और आचार हैं मोक्ष के मार्ग : आचार्य महाश्रमण

बडोली से 12 किमी का विहार कर पहुंचे मलासा हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण रविवार को साबरकांठा जिले के बडोली से लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर मलासा में स्थित श्री मलासा यूथ प्राथमिक शाला में पहुंचे।श्रद्धालुओं ने आचार्य का अभिनंदन किया। आचार्य ने कहा कि आदमी के जीवन में ज्ञान […]

बडोली से 12 किमी का विहार कर पहुंचे मलासा

हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण रविवार को साबरकांठा जिले के बडोली से लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर मलासा में स्थित श्री मलासा यूथ प्राथमिक शाला में पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने आचार्य का अभिनंदन किया। आचार्य ने कहा कि आदमी के जीवन में ज्ञान और आचार का बड़ा महत्व होता है। आगम में कहा गया है कि विद्या और आचार मोक्ष के मार्ग हैं। विद्यार्थी, विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और भी शिक्षण संस्थान में पढाई करते हैं और ज्ञान प्राप्त करते हैं। विभिन्न विषयों को अपने अध्ययन क्रम में लाते हैं। संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी आदि-आदि भाषाओं में भूगोल, खगोल, गणित आदि अनेक प्रकार के विषय हैं। इनमें एक सम्यक् ज्ञान अर्थात् अध्यात्म विद्या का ज्ञान है।
उन्होंने कहा कि ज्ञान हो जाने के बाद आदमी के संस्कार देखे जाते हैं। आदमी के भीतर सहिष्णुता है या नहीं। आदमी के भीतर अहिंसा, सत्य, अचौर्य, संयम की चेतना है या नहीं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि जीवन का एक भाग ज्ञान है तो दूसरा भाग आचार है। पढ़-लिखकर कोई इंजीनियर बन जाए, डॉक्टर, वकील, प्रोफेसर, जज बन सकता है। इसके साथ उसमें दया, करुणा, अहिंसा, सहिष्णुता आदि की भावना कैसी है, यह भी महत्वपूर्ण है। संयम की चेतना कैसी है? आदमी के आवश्यकताओं व इच्छाओं में समानता है कि नहीं, यह भी जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण बात होती है। आचार्य ने कहा कि आदमी के विचार ऊंचे और जीवन सादा हो तो उसके जीवन का बहुत ज्यादा महत्व है। सद्ज्ञान सम्पन्नता और सद्गुण सम्पन्नता जीवन के लिए बहुत बड़ी सम्पत्ति होती है।