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पालतू श्वानों में लैब्राडोर रिट्रीवर अहमदाबाद के लोगों की पहली पसंद

पंजीकृत 18000 में से 3500 श्वान इसी प्रजाति के- राष्ट्रीय श्वान दिवस पर विशेष

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File photo

अहमदाबाद शहर में जब श्वान पालने की बात आती है, तो लैब्राडोर रिट्रीवर प्रजाति के श्वान अहमदाबाद के लोगों की पहली पंसद हैं। अहमदाबाद महानगरपालिका की पेट डॉग रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से जुड़े आंकड़ों में यह बात सामने आई है।

12 अगस्त तक मनपा में विविध प्रजाति के 18000 से अधिक श्वानों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है, इनमें से 3500 से अधिक श्वान लैब्राडोर रीट्रीवर हैं।अहमदाबाद मनपा के पशु उपद्रव नियंत्रण विभाग (सीएनसीडी) ने शहर में पेट डॉग का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। शहर में लगभग 50 हजार से अधिक पालतू श्वान हैं। इनका रजिस्ट्रेशन होने पर विभाग की ओर से विविध सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इस वर्ष अब तक 16150 मालिकों ने अपने 18356 श्वानों का रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें से 3559 श्वान लैब्राडोर रिट्रीवर के हैं, जो 19.38 फीसदी हैं। जर्मन शेफर्ड पसंद के मामले में दूसरे क्रम पर हैं। इस प्रजाति के 7.40 फीसदी डॉग पंजीकृत हुए हैं। सात फीसदी के साथ शिह त्जू प्रजाति शहर के लोगों की तीसरी पसंद हैं।

मिलनसार होते हैं लैब्रोडोर: श्वेता

शहर के आंबावाडी क्षेत्र में पिछले लगभग 19 वर्ष से रह रहीं श्वेता चौधरी का कहना है कि कई वर्षों से उनके परिवार में पालतू श्वान रहा है। वैसे तो अलग-अलग प्रजातियों की अलग खासियत है लेकिन लैब्राडोर रिट्रीवर मिलनसार होता है। यह उसे खास बनाती है। यह जितना खुशमिजाज होता है, उतना ही बेहतरीन साथी बनने का भी प्रयास करता है। बुद्धिमान होता है, कुछ सीखने का इच्छुक भी रहता है। वे बताती हैं कि उनके पास दो श्वान हैं। उन्हें वे अपने परिवार के सदस्यों की तरह रखती हैं। परिवार के साथ जब कभी घूमने के लिए बाहर जाती हैं, श्वानों को साथ ले जाती हैं।

मृत पेट डॉग के अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था

सीएनसीडी विभागाध्यक्ष नरेश राजपूत बताते हैं कि लोग अपने पालतू श्वानों को परिवार के सदस्यों की तरह मानते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर मृत श्वान के अंतिम संस्कार के लिए शहर में सीएनजी भट्टी भी लगाई जा रही है। आगामी कुछ महीनों में यह भट्टी शुरू हो जाएगी। पेट डॉग के लिए शहर में अन्य सुविधाएं शुरू करने पर विचार किया जा रहा। इसी के चलते डाॅग रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। शहर में स्ट्रीट डाग की संख्या भी 2.10 लाख के आसपास है। मनपा की ओर से इनके स्वास्थ्य की देखभाल भी कीजाती है। बीमार श्वान को अस्पताल ले जाकर इलाज भी किया जाता है।