
बदहाली पर आंसू बहाता लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम
अहमदाबाद. शहर में बापूनगर स्थित लालबहादुर शास्त्री अपने जेहन में इतिहास समेटे हुए है। यह वही स्टेडियम है जहां ढाई दशक पहले तक गणतंत्र दिवस पर राज्यस्तरीय परेड होती थी। लोकसभा चुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव हों, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटलबिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेता यहां पर चुनावी सभाएं कर चुके हैं। कथाकार मोरारी बापू भी इस स्टेडियम में रामकथा कर चुके हैं। बापूनगर, रखियाल, गोमतीपुर समेत आठ से दस किलोमीटर दूर से लोग इस स्टेडियम में क्रिकेट मैच खेलने आते थे। जया-पार्वती व्रत के दौरान यहां मेला लगता था, जहां बालिका और महिलाएं झूमती थीं।
स्टेडियम में ही एक बगीचा था, स्नानागार था और जब टेलीविजन की शुरुआत हुई तो यहां के बगीचे में हर शनिवार और रविवार को लोग टेलीविजन देखने आते थे। बालभवन में बच्चों के खेलने-कूदने की बेहतर सुविधाएं थीं, लेकिन अब यह बदहाल सी स्थिति में है।
एक डेढ़ दशक पहले जब इस स्टेडियम को कांकरिया की तर्ज पर विकसित करने की शुरुआत महानरपालिका ने की थी, तब ऐसा लगा था कि बापूनगर और इससे सटे इलाकों के लोगों को एक और कांकरिया तालाब जैसी सुविधाओं वाली जगह मिलेगी।
अहमद शाह ने बनवाया था तालाब
बताया जाता है कि 14वीं शताब्दी में यहां के बादशाह अहमदशाह ने जल संरक्षण के लिए इस तालाब को बनवाया था, लेकिन वर्ष 1960 में महानगरपालिका ने इस तालाब को स्टेडियम में तब्दील कर दिया। वर्ष 2001 में फिर से महानगरपालिका ने इसे तालाब के रूप में विकसित करने की शुरुआत की। इस तालाब का विकास तीन चरणों में होना है, जिसमें पहले चरण में स्टेडियम और उसके आसपास की जगह को समतल कर दी गई है। स्टेडियम के चारों ओर चहारदीवारी बना दी गई है और जालियां भी लगा दी गई है। प्रवेश द्वार भी बना दिया गया है।
छोड़ा जा रहा सीवरेज का दूषित पानी
इस तालाब में बारिश का पानी संग्रह करना था, लेकिन मौजूदा समय में यहां सीवरेज का दूषित पानी छोड़ा जा रहा है। बारिश के मौसम में यहां केमिकल वाला पानी छोड़ दिया जाता है। केमिकल वाली प्लास्टिक की थैलियां धोकर सुखाई जा रही है। तालाब के आसपास मलबे का ढेर लगा है। एक ओर जहां महानगरपालिका अहमदाबाद को शौचमुक्त का दावा करता है, लेकिन यहां शौच भी किया जा रहा है। तालाब की हालात बदसूरत बनी है। लोगों में यह रोष है कि विकास के नाम पर इस स्टेडियम की खूबसूरती छीन ली गई।
दूषित पानी का तालाब
प्रकाश तोमर बताते हैं कि इस स्टेडियम में खेलते उनका बचपन बीता है। यहां पर खूबसूरत बगीचा, स्नानागार और बालभवन था, जहां बच्चों की किलकारियां गूंजती थी, लेकिन महानगरपालिका ने विकास के नाम पर इसकी खूबसूरती छीन ली है। सिर्फ दीवारों का घेरा बना दिया है। तालाब को दूषित पानी का तालाब बना दिया। बारिश में केमिकल वाला पानी छोड़ा जाता है। यदि ऐसा पानी छोड़ा गया तो कुछ समय बाद पीने के पानी में यह केमिकल घुल जाएगा।
बदहाली पर छोड़ा तालाब
पंकजसिंह चौहान का कहना है डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद सिर्फ स्टेडियम की चहारदीवारी ही बनी है। ऐसा लगता है तालाब को उसकी बदहाली पर छोड़ दिया गया है। स्टेडियम के चारों ओर जगह-जगह मलबे का ढेर लगा है ऐसा लगता है जैसे यह डम्पिंग यार्ड हो।
विकास के नाम पर सिर्फ चहारदीवारी
सरदारसिंह कछवाह का कहना है कि पहले तालाब के आसपास खूबसूरत पेड़ थे। स्नानागार था। बच्चों के ज्ञानवद्र्धन के लिए बालभवन बना था, लेकिन अब कुछ भी नजर नहीं आता। विकास के नाम पर यहां सिर्फ चहारदीवारी और गेट ही नजर आता है। इसके बावजूद भी यहां कचरा डाला जाता है, लेकिन महानगरपालिका के अधिकारी उसे नजरंदाज करते हैं।
खेलने की जगह छीन ली
वीरेन्द्र शर्मा का कहना है कि जैसे हालत स्टेडियम की नजर आती है उससे ऐसा लगता है कि बच्चों के खेलने-कूदने की जगह छीन ली गई है। यह एकमात्र स्टेडियम था, जहां सरसपुर, गोमतीपुर और कालूपुर जैसे दूरदराज के इलाकों से लोग खेलने आते थे। जब स्टेडियम को विकसित करने की बात चली थी तो खुशी हुई थी कांकरिया तालाब जैसी सुविधाएं यहां मिलेंगी, लेकिन ऐसा कुछ दिख नहीं रहा।
पिकनिक स्पॉट के तौर पर विकसित हो
अशोकसिंह भदौरिया का कहना है कि भले ही स्टेडियम के आसपास चहारदीवारी बना दी गई हो। फिर भी लोग घुस आते हैं और कूड़ा उंड़ेलते हैं। महानगरपालिका को आसपास की झोपड़पट्टी हटाकर अतिक्रमण दूर करना चाहिए। स्टेडियम के एक पिकनिक स्पॉट के तौर पर विकसित करने की जरूरत है।
ऐतिहासिक तालाब की बदसूरत तस्वीर
महेन्द्र मेघवाल का कहना है कि यह तालाब ऐतिहासिक है, जहां कई पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज नेता सभाएं कर चुके हैं, लेकिन अब इसकी हालत बदसूरत बनी है। बारिश के पानी के बजाय यहां सीवरेज का दूषित और केमिकल वाला पानी छोड़ा जा रहा है।
अतिक्रमण हटाना चाहिए
हरि सिंह चौहान का कहना है कि स्टेडियम से अतिक्रमण हटाना चाहिए। जो सीवरेज और केमिकल वाला पानी छोड़ा जाता है जिसे बंद करना चाहिए। बारिश का ही पानी एकत्रित करना चाहिए। आसपास से अराजकतत्वों की घुसपैठ को रोकना चाहिए।
जल्द विकसित होगा स्टेडियम
बापूनगर के पार्षद अश्विन पेथाणी ने कहा कि देखा जाए तो पिछले तीन वर्षों से ही विकास ने जोर पकड़ा है। मुख्यमंत्री ने पन्द्रह करोड़ का फंड आवंटित किया था, जिसमें प्रथम चरण में स्टेडियम की चहादीवारी और गेट बनवाया गया है। अब अगले चरण में दो स्वीमिंग पूल और पार्टी प्लॉट बनाए जाएंगे। स्टेडियम के आसपास का मलबा या अतिक्रमण हटा दिया जाएगा। लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद अतिक्रमण हटाया जाएगा। स्टेडियम को जल्द से जल्द विकसित करेंगे।
Published on:
16 Jun 2019 09:56 pm
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