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गुजरात के गांवों के 30 एकल स्कूलों में शुरू की गुजराती किताबों की लाइब्रेरी

वनबंधु परिषद की महिला समिति की वार्षिक साधारण सभा

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गुजरात के गांवों के 30 एकल स्कूलों में शुरू की गुजराती किताबों की लाइब्रेरी

गुजरात के गांवों के 30 एकल स्कूलों में शुरू की गुजराती किताबों की लाइब्रेरी

अहमदाबाद. वनबंधु परिषद महिला समिति की स्थानीय इकाई की ओर से गुजरात के गांवों के 30 एकल स्कूलों में अब तक गुजराती पुस्तकों की लाइब्रेरी शुरू की गई है।
समिति की प्रथम वार्षिक साधारण सभा की शुक्रवार को यहां आयोजित बैठक में सचिव कांता मोदानी ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी। गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों के दूर-दराज के गांवों के बच्चों के उत्थान व शिक्षा के लिए कार्यरत समिति की ओर से 30 एकल विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है, इनमें एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं।
उन्नत समाज के उद्देश्य को लेकर ग्रामीणों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा शिविर, बच्चों को संस्कार देने के कार्य गांवों की इकाई के प्रमुख व वहां के शिक्षकों के सहयोग से किए जा रहे हैं। उन्होंने आगामी एक वर्ष के कार्यक्रमों की संक्षिप्त जानकारी दी। समिति की अध्यक्ष सुशीला माहेश्वरी ने कहा कि संक्रांति पर्व की राशि पूर्णकालिक सेवा करने वालों को सम्मानित करने में खर्च की जा रही है। एक एकल विद्यालय के 30 बच्चों को शिक्षित करने का एक वर्ष का खर्चा 22000 रुपए होता है।
सह कोषाध्यक्ष वैशाली माहेश्वरी ने वार्षिक आय-व्यय की रिपोर्ट प्रस्तुत की। सेवा पात्र प्रभारी कुसुम मंडोवरा ने बताया की सेवा पात्र की राशि ग्रामीणों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जा रही है, एक बच्चे की पर एक वर्ष में 1000 रुपए खर्च होते हैं। उपाध्यक्ष विनिता डाड ने धन एकत्र करने के तरीके के बारे में जानकारी दी। कार्यवाहक अध्यक्ष उर्मिला कलंत्री ने पंचमुखी शिक्षा के बारे में जानकारी दी। कविता जालान ने आभार व्यक्त किया।