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Ambaji Temple: अंबाजी मंदिर में फिर से मिलेगा मोहनथाल का प्रसाद, साथ में चिक्की का विकल्प भी

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Ambaji Temple: अंबाजी मंदिर में फिर से मिलेगा मोहनथाल का प्रसाद, साथ में चिक्की का विकल्प भी

Ambaji Temple: अंबाजी मंदिर में फिर से मिलेगा मोहनथाल का प्रसाद, साथ में चिक्की का विकल्प भी

Mohanthal prasad to be restored at Ambaji Mandir, Chikki also option : Gujarat govt

बनासकांठा जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में मोहनथाल का परंपरागत प्रसाद फिर से मिलेगा। भक्तों को मोहनथाल के साथ-साथ चिक्की का भी प्रसाद विकल्प के रूप में मिलेगा। इस तरह पिछले दस दिनों से जारी मोहनथाल प्रसाद विवाद मामले का अंत आ गया है।

51 शक्तिपीठों में से एक अंबाजी में भक्तों को मोहनथाल के साथ-साथ चिक्की का भी प्रसाद विकल्प के रूप में मिलेगा। गुजरात सरकार की ओर से मंगलवार को यह घोषणा की गई।

राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि अंबाजी मंदिर में अब मोहन थाल के साथ-साथ चिक्की का भी प्रसाद मिलेगा।

मंत्री के मुताबिक मोहन थाल की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। अंबाजी मंदिर के भट्टजी की मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, कैबिनेट मंत्री ऋषिकेश पटेल और राज्य मंत्री हर्ष संघवी की उपस्थिति गांधीनगर में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया।

प्रवक्ता मंत्री के मुताबिक मोहन थाल व चिक्की का प्रसाद अंबाजी मंदिर के काउंटर पर उपलब्O होगा। मोहनथाल की गुणवत्ता, शेल्फ लाइफ व पैकिंग बेहतर की जाएगी।

पटेल ने कहा कि स्वामी सच्चिदानंद ने उन्हें कहा कि मोहनथाल आस्था से जुड़ी है और इसे जारी रखना चाहिए। मोहनथाल का प्रसाद 35-37 वर्ष से दिया जा रहा है। ट्रस्ट की ओर से गुणवत्ता के कारण ही लिया था। लेकिन राज्य के संतों, समाज व श्रद्धालुओं की भावना के चलते मोहन थाल का परंपरागत प्रसाद को फिर से शुरु करने का निर्णय लिया गया है

राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि मोहनथाल का प्रसाद जल्द से जल्द फिर से जारी किया जाएगा।

कई दिनों से जारी था विवाद

पिछले कुछ दिनों से अंबाजी मंदिर में मोहनथाल का प्रसाद बंद कर चिक्की का प्रसाद शुरू करने के निर्णय का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा था। इस मामले में श्रद्धालुओं में रोष देखने को मिल रहा था। इस विवाद में कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया था। विपक्षी दल की ओर से प्रदर्शन किए गए थे. साथ ही राज्य भर में आंदोलन की घोषणा भी की गई थी। वहीं, विश्व हिन्दू परिषद और कई संगठन भी इसमें सरकार के सामने आ गई थी। यह मुद्दा गुजरात विधानसभा में भी गूंजा था।

मंदिर परिसर से विस परिसर तक उठाई आवाज: कांग्रेस

कांग्रेस के प्रवक्ता हेमांग रावल ने कहा कि अंबाजी मंदिर में मोहन थाल प्रसाद फिर से जारी करने के निर्णय के पीछे गुजरात की जनता, धार्मिक संस्थानों व सनातन धर्म प्रेमियों की ओ्र से किए गए धर्मयुद्ध की जीत है। गुजरात प्रदेश कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं के अन्याय के खिलाफ निरंतर की गई लड़ाई का सुखद परिणाम है। मंदिर परिसर से लेकर विधानसभा परिसर तक कांग्रेस ने धर्म के लिए आवाज उठाई है।

पहले यह था सरकार का तर्क

हालांकि कुछ दिनों पहले राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने मीडिया को बताया कि मोहनथाल 8 से 10 दिनों तक ही सुरक्षित रहता है जबकि चिक्की तीन माह तक सुरक्षित रखी जा सकती है। इसके चलते ही मंदिर प्रशासन ने मोहनथाल को बंद किया है। राज्य सरकार का कहना था कि दुनियाभर से श्रद्धालु अंबाजी में मां अंबा के दर्शन के लिए आते हैं। यह प्रसाद सूखा और ज्यादा समय तक सुरक्षित रह सकता है।

एक मार्च से् आरंभ की गई थी चिक्की

राज्य सरकार के मुताबिक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक चिक्की का प्रसाद अंबाजी मंदिर ट्रस्ट की ओर से एक मार्च से प्रारंभ किया गया।

बनासकांठा कलक्टर ने कहा था कि मंदिर के ट्रस्टियों को कई आवेदन मिले हैं और इन आवेदनों के बाद प्रशासन ने चिक्की के रूप में प्रसाद का निर्णय लिया है। चिकी का प्रसाद सूखा होने के कारण भक्त इसे तीन महीने तक रख सकते हैं।