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मोरबी झूलता पुल हादसे को आज एक वर्ष पूरा

135 लोगों को खोने वालों को अब भी न्याय का इंतजार मृतकों में 58 की उम्र 10 साल से कम थी, 56 लोग हुए थे घायल गिरफ्तार 10 आरोपियों में से 5 जमानत पर रिहा

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मोरबी झूलता पुल हादसे को आज एक वर्ष पूरा

हादसे में मारे गए लोगों की फाइल फोटो।

अहमदाबाद/राजकोट. टाइल्स के लिए दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने वाले मोरबी शहर में झूलता पुल टूटने से हुए हादसे में 135 लोगों को खोने वालों को अब भी परिवारों को एक साल बाद अब भी न्याय का इंतजार है।

30 अक्टूबर 2022 की शाम को मोरबी में झूलते पुल के केबल टूटने से हुए हादसे में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 135 लोगों की मौत हुई, इनमें 58 की उम्र 10 साल से कम थी और 56 लोग घायल हुए थे।

सेशन कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया जारी है। आईपीसी की धारा 304 के तहत 10 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया है। 10 में से 3 सुरक्षा गार्ड व 2 टिकट जारी करने वालों सहित 5 आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

मुख्य आरोपी सहित 5 को जमानत नहीं

मुख्य आरोपी ओरेवा कंपनी का प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल, कंपनी के 2 प्रबंधक, पुल की मरम्मत का कार्य करने वाले 2 ठेकेदार सहित शेष 5 आरोपी अभी जेल में बंद हैं। हालांकि इनमें से 4 की ओर से गुजरात हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की गई है। याचिका पर 3 नवंबर को सुनवाई होगी।

56 में से 16 अब भी बेड रेस्ट पर

हादसे में घायल हुए 56 में से 16 लोगों को गंभीर चोट लगी और वे अब भी बेड रेस्ट पर हैं। यह 16 लोग चलने-फिरने की हालत में नहीं हैं। इनकी आय बंद हो गई। हादसे के पीडि़त सभी परिवार सामान्य मध्यम वर्ग के हैं। यह भी ज्यादा उम्र के नहीं हैं।

मोरबी ट्रेजिडी विक्टम एसोसिएशन का गठन

हादसे में जान गंवाने वाले 135 में से 112 के परिजनों ने मोरबी ट्रेजिडी विक्टम एसोसिएशन का गठन कर इसे पंजीकृत करवाया है। यह एसोसिएशन भी न्याय मिलने के लिए न्यायिक प्रक्रिया में पक्षकार के रूप में जुड़ा है। इसके चेयरमैन मनुभाई वाघेला हैं, नरेंद्र परमार सदस्य के रूप में एसोसिएशन में जुड़े हैं।

20 बच्चे हुए अनाथ

हादसे में जान गंवाने वालों में से कुछ के 20 बच्चे अनाथ हो गए, इनके पिता की मौत हुई । 7 बच्चों के माता-पिता ने जान गंवाई।

आज अहमदाबाद के गांधी आश्रम में श्रद्धांजलि सभा

हादसे को एक साल पूरा होने पर सोमवार को मोरबी ट्रेजिडी विक्टम एसोसिएशन की ओर से अहमदाबाद के गांधी आश्रम में सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है।

एसआईटी ने सौंपी रिपोर्ट

इस हादसे की जांच के लिए गठित एसआईटी ने गुजरात हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट के अनुसार हादसे की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल व 2 प्रबंधकों की है। मोरबी नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत 3 लोग भी जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार पुल की मरम्मत के लिए सामग्री का आकलन नहीं किया गया, इसके लिए कोई कार्यप्रणाली नहीं अपनाई गई। किसी तकनीकी विशेषज्ञ की मदद नहीं ली गई और मरम्मत की जिम्मेदारी किसी सक्षम एजेंसी को नहीं दी गई। पुल के 49 में से 22 तार जंग लगे होने के कारण पहले से ही टूटे हुुए थे।

600 से ज्यादा लोग थे मौजूद

मोरबी के पूर्व रॉयल परिवार की ओर से बनवाए गए करीब 700 मीटर लंबे पुल की देखभाल ठीक से की जाती थी। पुराने पुल पर सागवान की लकड़ी कुछ-कुछ दूरी पर लगी थी। 15-15 लोगों को आवागमन की छूट दी जाती थी। परमार के अनुसार ओरेवा कंपनी ने अपनी मार्केटिंग के लिए 2017 में पुल का ठेका लिया। नगर पालिका की मंजूरी से 8 मार्च से 22 अक्टूबर तक पुल की मरम्मत की गई। उसके बाद नगर पालिका की मंजूरी के बिना ही 26 अक्टूबर को जनता के लिए पुल खोला गया और 30 अक्टूबर को हादसा हो गया। उस दिन 3165 लोग पुल पर चढ़े थे, इतने टिकट जारी हुए थे। घटना के समय 600 से ज्यादा लोग पुल पर मौजूद थे। मरम्मत के समय लकड़ी को हटाकर एल्यूमिनियम की प्लेट लगा दी और बीच में दूरी नहीं थी इस कारण बैलेंस नहीं बनता। पुल के नीचे लगे 49 आधे से ज्यादा केबल टूटे हुए थे, उन पर रंगरोगन किया था इस कारण हादसा हुआ।

परिवार के 3 सदस्य गिरे, बच्ची को गंवाया

झूलता पुल हादसे में नरेंद्र परमार व एक बच्चा-एक बच्ची सहित परिवार के 3 सदस्य गिरे थे। दोनों बच्चों को लेकर नरेंद्र भी पुल पर गए थे। तीनों ही पानी में डूब गए। नरेंद्र ने केबल पकड़ लिया और अन्य लोगों ने उन्हें बचा लिया। उनके 8 साल केे छोटे बच्चे को भी करीब 15 मिनट बाद बाहर निकाल लिया गया। 5वीं कक्षा में पढ़ने वाली 10 साल की बच्ची ध्वनि परमार के शरीर में नदी का नाले वाला पानी घुस गया और ज्यादा देर तक 25 फीट गहरे पानी में रहने के कारण उसकी मौत हो गई।

आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज कर कड़ी सजा दिलाने की मांग

नरेंद्र परमार के अनुसार अहमदाबाद को पूरे गुजरात का केंद्र माना जाता है। हादसे के बाद आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज कर कड़ी सजा दिलाने की मांग व बच्चों के न्याय के लिए लड़ाई का संदेश देने के लिए अहमदाबाद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की है।

परिवार के 8 सदस्यों को खोया

मोरबी निवासी प्रतापसिंह के अनुसार झूलता पुल हादसे में परिवार के सबसे ज्यादा 8 सदस्यों को खोया है। इनमें माता, पत्नी, 2 बच्चियां, भाभी, उनके 2 बच्चे और साली शामिल हैं। परिवार के सभी सदस्य पुल के समीप माताजी के मंदिर में दर्शन करने गए थे। बच्चों ने झूलता पुल पर जाने की जिद की इसलिए पुल पर गए और 8 सदस्य हादसे के शिकार हुए। अब आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने की सरकार से उनकी मांग है। सरकार से 10-10 लाख और मुख्य आरोपी जयसुख पटेल से 5-5 लाख रुपए मिले हैं।

नफीसा की सिर्फ यादें बची

मोरबी निवासी महबूबभाई के अनुसार हादसे के समय उनके परिवार के 35 सदस्य पुल पर मौजूद थे। उनमें से उनकी 19 साल की पुत्री नफीसा सहित 7 लोगों की मौत हो गई थी। उसकी सगाई की तैयारी कर रहे थे लेकिन हादसे के कारण तैयारियां मातम में बदल गई और अब नफीसा की सिर्फ यादें रह गईं हैं। वह इकलौती बेटी थी, वह अपनी सगाई और श्रृंगार की बातें करती थी। उसके साथ सारी भावनाएं भी चली गईं। हादसे के बाद परिवार में एक और बेटी का जन्म हुआ। नफीसा और इस बच्ची का जन्म एक ही महीने में हुआ, इस बेटी को भी नफीसा नाम दिया है। छोटी नफीसा की मुस्कान ही अब महबूबभाई के चेहरे पर खुशी ला सकती है।

सबसे प्यारी बेटी थी

मोरबी निवासी हाजी शमदार के अनुसार तीन बेटियों में से जान गंवाने वाली वो सबसे प्यारी 22 साल की बेटी मुस्कान थी। दो की शादी हो चुकी है। एक बेटा भी है। हादसे में उनके परिवार के कुल 7 लोगों की मौत हुई। हमारी जिंदगी मेें कुछ रोमांच नहीं बचा।

20 बच्चों को 46-46 लाख चुकाए

मोरबी के भाजपा विधायक कांतिलाल अमृतिया ने कहा कि हादसे में अनाथ हुए 20 बच्चों को केंद्र, राज्य सरकार व कंपनी की ओर से 46-46 लाख रुपए चुुकाए गए हैं। अन्य मृतकों के परिजनों को कुल 21-21 लाख रुपए चुकाए गए हैं। मोरबी में 2 हजार बच्चों के लिए 525 करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज बनवाया जा रहा है। मोरबी मेंं सुरक्षा और विकास की योजनाएं लागू की जाएगी। पूर्व रियासतकाल से नालों का पानी नदी में बहाया जा रहा था, अब नदी को साफ करने और नाले का पानी रोकने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, कांग्रेस नेता जे जे पटेल के अनुसार भाजपा सरकार की ओर से यातायात या नाले सरीखी समस्या को हल करने के लिए कुछ नहीं किया, केवल लोगों को गुमराह किया जा रहा है।

न्याय नहीं मिलने तक जूते नहीं पहनूंगी

राजकोट. हादसे में मोरबी निवासी बेटे अल्ताफखान (19) को गंवाने वाली मां शबाना पठाण ने न्याय नहीं मिलने तक जूते नहीं पहनने की मन्नत ली है। मोरबी के सिपाईवास निवासी शबाना के अनुसार तीन बेटे थे। पति की कम उम्र में ही कैंसर से मृत्यु हो गई। कम उम्र में विधवा होने के कारण तीन बेटों के पालन-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी निभा रही हैं। घरेलू काम करके अपने तीन बेटों को पाला और पढ़ाया। बेटे अल्ताफखान ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की और नौकरी पा ली, उसका मासिक वेतन 15 हजार रुपए था। वह बेटा इतना समझदार था कि अपने लिए एक रुपया भी नहीं रखता था। शबाना का कहना है कि प्यारे बेटे की जान झूलता पूल हादसे में चली गई। बेटे की याद में एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब वह नहीं रोती हैं। कभी-कभी त्योहार के वक्त बेटे की बहुत याद आती है। जो भी दोषी है उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले, इसके लिए जूते न पहनने की मन्नत ली है।