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अब तक के 63 फीसदी एमओयू का अमल

अब तक के वाइब्रेंट गुजरात सम्मलेन में 51,738 एमओयू किए गए। इनमें से 30,650 एमओयू पर काम हो चुका है, जबकि 4,014 प्रोजेक्ट्स के कार्य जारी है। यह दावा गुजरात के अहम बड़े उद्योग समूहों ने किया है

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Shankar Sharma

Dec 27, 2016

Ahmedabad news

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अहमदाबाद.
अब तक के वाइब्रेंट गुजरात सम्मलेन में 51,738 एमओयू किए गए। इनमें से 30,650 एमओयू पर काम हो चुका है, जबकि 4,014 प्रोजेक्ट्स के कार्य जारी है। यह दावा गुजरात के अहम बड़े उद्योग समूहों ने किया है। उद्यमियों ने दावा किया है कि अगले माह आयोजित होने वाला वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक सम्मेलन नई ऊंचाइयों को छुएगा।


गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इन्डस्ट्रीज (जीसीसीआई) में सोमवार को 10 जनवरी से शुरू होने वाले वाइब्रेंट गुजरात को लेकर आयोजित बड़े उद्योग समूहों के संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही गई।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के समूह अध्यक्ष (कॉरपोरेट मामले) परिमल नथवाणी व जाइडस कैडिल समूह के मुखिया व फिक्की के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज पटेल के साथ-साथ अदाणी समूह के प्रणव अदाणी, एस्सार समूह के राजीव अग्रवाल तथा वेलस्पन ग्रुप के चिंतन ठाकर व टोरेन्ट समूह के जयेश देसाई ने बताया कि पिछले दो वाइब्रेंट सम्मेलन में एमओयू से 2.36 लाख से ज्यादा के प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए वहीं अधिकांश प्रोजेक्ट का अमलीकरण किया गया। पिछले दो वाइब्रेंट गुजरात के दौरान किए गए एमओयू से लाखों के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए।

रिलायंस के परिमल नथवाणी के अनुसार अक्सर वाइब्रेंट गुजरात के एमओयू को लेकर नकारात्मक बातें सामने आती हैं। इसमें कहा जाता है कि उद्योगों ने एमओयू का अमलीकरण नहीं किया या रोजगार नहीं मिले, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। नथवाणी ने बताया कि रिलायंस ने 52 हजार प्रत्यक्ष रोजगार (जियो में छह हजार) व 1.42 लाख परोक्ष रोजगार उपलब्ध कराए। उधर, एस्सार समूह के अनुसार उनकी ओर से 25 से 30 हजार तथा वेलस्पन ने 1200 नौकरियां उपलब्ध कराई।
नथवाणी के मुताबिक रिलायंस समूह ने वर्ष 2003 से अब तक के सभी वाइब्रेंट गुजरात में 2.37 लाख करोड़ का एमओयू किया। वहीं गत दो सम्मेलनों में यह आंकड़ा सवा लाख करोड़ को पार कर गया।

इनमें से 92 हजार करोड़ का निवेश सिर्फ जामनगर में ही किया गया। 90 फीसदी प्रत्यक्ष रोजगार में गुजरात के लोग हैं वहीं स्थानीय श्रमिकों की कमी होने के कारण 1.42 लाख श्रमिक बिहार, झारखंड, ओडिशा व यूपी से हैं जो कंपनी के जामनगर की साइट पर कार्यरत हैं। इन प्रोजेक्टों से रिलायंस वैट के रूप में राज्य सरकार को 3600 करोड़ रुपए प्रति वर्ष तथा गुजरात मैरिटाइम बोर्ड को 550 करोड़ रुपए दे रही है।

2003 में एमओयू की सफलता का दर 56 फीसदी

जाइडस समूह के पंकज पटेल ने कहा कि वर्ष 2003 के वाइब्रेंट गुजरात के एमओयू में सफलता का दर 56 फीसदी था जो पिछले सम्मेलन (2015) में बढ़कर 72 फीसदी हो चुका है। पटेल के अनुसार समूह ने 750 करोड़ का निवेश मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में किया जा चुका है। सभी ने एक स्वर में कहा कि राज्य निवेश के लिए अनुकूल है और साथ ही रोजगार की संभावनाएं भी पैदा कर रहा है।

अदाणी समूह के प्रणव अदाणी ने कहा कि समूह के अधिकांश प्रोजेक्टों का अमलीकरण हो चुका है। पिछले करीब दो वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा सहित विभिन्न सेक्टरों में 50 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट का अमलीकरण हुआ। उन्होंने कहा कि 75 फीसदी प्रोजेक्ट का अमलीकरण या तो हो चुका है या जारी है।

वेलस्पन ग्रुप के चिंतन ठाकर ने कहा कि समूह वर्ष 2003 से लगातार एमओयू कर रहा है। अब तक 13-14 हजार करोड़ का एमओयू टेक्सटाइल, इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य क्षेत्रों में किया जा चुका है। इनमें से 12 हजार करोड़ से ज्यादा का एमओयू पिछले दो वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में हो चुका है। इस तरह 66 फीसदी से ज्यादा प्रोजेक्ट का या तो अमलीकरण हो गया है या अमलीकरण जारी है।

टोरेन्ट समूह के जयेश देसाई ने बताया कि समूह वर्ष 2003 से वाइब्रेंट गुजरात में एमओयू कर रहा है। पिछले दो सम्मेलनों में समूह ने फार्मास्यूटिकल व पवन ऊर्जा में दो हजार करोड़ का एमओयू किया जिसमें अधिकांश का अमलीकरण हो चुका है।

एस्सार समूह के राजीव अग्रवाल ने बताया कि समूह गुजरातमें बड़े निवेशकों में शामिल है। अब तक के वाइब्रेंट गुजरात में समूह ने बंदरगाह, ऊर्जा व रिफाइनरी क्षेत्र में 1.1 लाख करोड़ के एमओयू किए। इनमें 80 हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट का अमलीकरण हो चुका है। इस तरह समूह का 80 फीसदी से ज्यादा के प्रोजेक्ट अमलीकृत हो गए।

कई प्रोजेक्ट रद्द,कई अर्थहीन

कई एमओयू के हस्ताक्षर किए जाने के बावजूद आगे नहीं बढऩे पर नथवाणी ने कहा कि कई कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट रद्द कर दिए तो कईयों का प्रोजेक्ट व व्यवहार्य नहीं हो सका, वहीं कुछ प्रदूषण क्लीयरेंस की कमी व अन्य तकनीकी कारणों के कारण असफल हो गए। हालांकि फिर भी एमओयू की 66 फीसदी की सफलता का दर काफी अच्छा है।

नोटबंदी का नहींहोगा असर
नथवाणी ने कहा कि इस वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में नोटबंदी का असर नहीं होगा। उन्होंने बताया कि नोटबंदी का प्रभाव दीर्घकालीन समय के लिए नहीं बल्कि सिर्फ कुछ समय के लिए रहेगा।