
The first train ran on the metergoage between Delhi and Rewari
अहमदाबाद।देश में प्रथम रेलगाड़ी चलने की यह जानकारी कम ही लोगों को होगी कि14 फरवरी 1873 को पहली बार मीटरगेज रेलगाड़ी तत्कालीन राजपूताना-मालवा रेलवे ने चलाई थी। यह रेलगाड़ी दिल्ली से रेवाड़ी के बीच 84 किमी. लंबी मेन लाइन पर तथा उसी दिन 12.3 किमी. लंबी शाखा लाइन गढि़हरसरु से फर्रूखनगर सॉल्ट वर्क डिपो तक चलाई गई थी। यह रेलगाड़ी न केवल भारत एवं एशिया की, बल्कि विश्व की सबसे पहली मीटरगेज वाली कमर्शियल रेलगाड़ी थी। दिल्ली-रेवाड़ी मेन लाइन पर मालगाड़ी तथा यात्री रेलगाड़ी दोनों चलती थीं, लेकिन गढि़हरसरु-फर्रूखनगर शाखा लाइन पर वर्ष 1947 तक अर्थात 1873 से लेकर 1947 तक इस पर केवल मालगाड़ी ही चलती थी।
इस प्रथम मीटरगेज रेलगाड़ी का प्रथम रेल इंजन का नाम ‘ड्यूब’ था, जो 2-4-0 श्रेणी वाला टैंक टाइप वाला इंजन था। इसे इंग्लैंड की ग्लासगों में ड्यूब एंड ग्लासगो कंपनी ने बनाया था। यह इंजन वर्ष 1872 में बना था। इस प्रकार के 10 इंजन उस समय मंगाए थे। इस प्रकार के इंजनों में से एक इंजन लार्ड लावेंरस भी था जो वर्ष 1874 में बना था। यह अभी भी गोरखपुर के रेल संग्रहालय में विरासत के रूप में रखा है।
देखा जाए तो भारत में प्रथम मीटर गेज रेल लाइन बनाने का निर्णय जीआईपी एवं आईईआर ने वर्ष 1849 में किया था। इसके अंतर्गत मानक गेज या स्टैण्डर्ड गेज या इन्टरनेशनल गेज (चौड़ाई 1435 मिमी.) वाली रेल लाइन तथा रेलगाडिय़ां चलाना शामिल था, लेकिन बाद में 5 फिट 6 इंच अर्थात 1676 मिमी. चौड़ाई वाली बड़ी लाइन बनाने का निर्णय लिया गया।
प्रथम मीटरगेज रेललाइन बिछाने के लिए वर्ष 1869 में राजपूताना स्टेट रेलवे का गठन किया गया था, दिल्ली-रेवाड़ी खंड का मई 1868 में मि. डब्ल्यू.सी. फर्निवाल द्वारा सर्वे किया गया। कुछ माह में ही उन्होंने उसका सर्वेक्षण पूरा कर दिया, जो उस समय दिल्ली-बांदीकुई रेल खंड के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर थे। अप्रैल 1870 में इस खंड को बड़ी लाइन में बनाने के हिसाब से मिट्टी का कार्य (अर्थवर्क) शुरू कर दिया गया था, लेकिन जनवरी 1871 में इसे मीटर गेज रेल लाइन बनाने का नया निर्णय किया।
ह्यइसके चलते रेलवे लाइन खर्च का दोबारा आकलन किया गया। मार्च 1871 में दिल्ली का कार्य अधीक्षण इंजीनियर मेजर एफ.एस.स्टैन्टन को दे दिया गया। जनवरी 1871 से दिल्ली से रेवाड़ी तक मीटर गेज रेल लाइन बिछाना शुरू किया गया, जो दिसम्बर 1872 में पूरा हुआ।
इस 84 किमी. लम्बी मेन लाइन के अतिरिक्त दिल्ली से 41 किमी. तक गढ़ीहरसरु से फर्रूखनगर तक एक शाखा या ब्रांच लाइन 12.3 किमी.) भी बनाई गयी। जो फर्रूखनगर से नमक ढुलाई के लिए बनाई गयी थी। बाद में रेवाड़ी से अलवर तक का खंड की रेल लाइन 15 सितम्बर 1874 को तथा अलवर-बांदीकुई खंड को 07 दिसम्बर 1874 को यातायात हेतु खोली गयी थी। जयपुर तथा अजमेर के लिए यह लाइन 1875 में बनी जो वर्ष 1881 में गुजरात के पालनपुर में जाकर मिल गयी।
पालनपुर-अहमदाबाद 1879 में चली थी मीटरगेज पर ट्रेन
पालनपुर में पहले से ही अर्थात वर्ष 1879 में ही अहमदाबाद से पालनपुर के बीच मीटर गेज रेल लाइन बन कर चालू थी। इस प्रकार 01 जनवरी 1881 को अहमदाबाद से दिल्ली तक सीधी रेलगाड़ी का परिचालन शुरू हो गया था। -विमलेश चन्द्र, सहायक कारख़ाना प्रबन्धक, भावनगरपरा
Published on:
06 Mar 2018 10:42 pm
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