Amit Shah, MSU, Convocation, Vadodara
Vadodara: Amit Shah attended MSU convocation as chief guest
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब तक हम अपनी भाषाओं को संवर्धित नहीं करेंगे तब तक हम देश का भविष्य नहीं सुधार सकते। जीवन में कभी अपनी मातृभाषा को नहीं छोडऩा चाहिए। इस लघुता ग्रंथि से बाहर निकलना चाहिए कि भाषा से स्वीकृति मिलती है।
वे शनिवार को वड़ोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (एमएसयू) के 71वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
शाह ने कहा कि व्यक्तित्व निर्माण का स्वभाषा से बड़ा कोई माध्यम नहीं हो सकता। सबसे पुरानी भाषाएं हमारे देश की हैं। सबसे अच्छा व्याकरण, साहित्य, कविताएं और इतिहास हमारी ही भाषाओं में है। कोई भी व्यक्ति अपनी भाषा में अच्छा सोच सकता है। बेहतर क्षमता के साथ रिसर्च कर सकता है और उसके विश्लेषण और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति में भाषा के महत्व को बरकरार रखने के लिए प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य करने का प्रावधान रखा है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा को स्ट्रीमलैस और क्लासलैस बनाने का काम किया है और ऐसा होने पर आप ज्ञान की दुनिया में मुक्त चिंतन और विहार कर सकते हैं।शाह ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य डिग्री, अच्छी नौकरी या व्यक्तिगत जीवन में सुख-सुविधाएं प्राप्त करना नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानव बनना है और ये स्ट्रीमलैस और क्लासलैस शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।
वडोदरा की भूमि पर महराजा सयाजीराव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि
महाराजा सयाजीराव ने अपने पूरे कालखंड में इस प्रकार की शासन व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयास किया जो आज भी उत्तम शासन का उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि ये महाराजा सयाजीराव की भूमि है और जिस समय पूरा देश गुलामी का अनुभव कर रहा था, उस वक्त भी महाराजा सयाजीराव ने पूरे क्षेत्र को गुलामी का अनुभव नहीं करने दिया।उन्होंने कहा कि महाराजा सयाजीराव के जीवन से स्पष्ट होता है कि जब एक शासक जब अपने बारे में नहीं सोचकर जनता के हितों के बारे में सोचता है तो समाज में एक बड़ा बदलाव आता है।
शाह के मुताबिक नई शिक्षा नीति में सयाजीराव का आसानी से मिलने वाली शिक्षा का विचार, सरदार पटेल का सशक्तिकरण का विचार, अंबेडकर के ज्ञान की शिक्षा का विचार, श्री अरबिन्दो का सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी शिक्षा का विचार और गांधी जी का मातृभाषा पर आग्रह का विचार शामिल है।शाह ने महाराजा रंजीत सिंह गायकवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन का भी ई-लोकार्पण किया। एमएसयू के दीक्षांत समारोह में 6713 छात्र और 8048 छात्राओं को उपाधि दी गई।