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उत्तर भारीतयों का सहारा बन रहे हैं ग्रामीण व उद्योगपति

डरें नहीं अफवाहों से दूर रहें

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Villagers and industrialist came to help North Indians

उत्तर भारीतयों का सहारा बन रहे हैं ग्रामीण व उद्योगपति

अहमदाबाद. उत्तरभारतीयों के डर को दूर करने के लिए ग्रामीण और उद्योगपति आगे आए हैं। अहमदाबाद जिले की साणंद तहसील के बोड गांव में पलायन के बीच भी अधिकांश श्रमिकों को रोक लिया गया है। उद्योगपतियों की मानें तो गांव के आसपास बड़ी संख्या में उद्योग इकाइयां हैं और उनमें काम करने वाले लगभग १४००० मजदूरों में से अधिकांश उत्तरभारतीय हैं।
बोड गांव के सरपंच नरेन्द्र बारड ने बताया कि ढूंढर गांव में जो कृत्य किया गया है उसके दोषी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उस कृत्य की उन्होंने कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज विश्व पटल पर गुजरात की पहचान विकास से होती है और विकास को यथावत रहने के लिए सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों में डर का माहौल होने से वे पलायन करने लगे हैं। ऐसे में उन्हें रोकना जरूरी है। जिसे ध्यान में रखकर ग्रामीण, उद्योगपति तथा सरकार भी मदद के लिए आगे आई है। उन्होंने कहा कि दहशत के कारण कुछ मजदूर चले गए हैं। मजदूरों को रोकने के लिए उनकी यथासंभव मदद की जा रही है। हालांकि कुछ इकाइयों में से मजदूर चले जाने से कार्य प्रभावित हुआ है।
सोशल मीडिया पर लगे लगाम
साणंद जीआईडीसी के अध्यक्ष अजीत शाह के अनुसार औद्योगिक इकाइयों से उत्तरभारतीय कारीगरों का भागना चिन्ता का विषय है। उनका मानना है कि बड़ी कोई घटना नहीं है लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों से ज्यादा दहशत फैली हुई है। उन्होंने कुछ दिनों के लिए सोशल मीडिया पर लगाम की मांग भी की।
बयानबाजी भी बंद हों
उद्योगपतियों का मानना है कि नेताओं की बयानबाजी बंद होनी चाहिए। इस तरह की घटनाओं को लेकर राजनीति उचित नहीं है। सरकार और विपक्ष को को बयानबाजी बंद कर ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे गुजरात की छवि खराब न हो। गुजरात शांतिप्रिय राज्य रहा है और ऐसा ही रहना चाहता है।