
Sardar Vallabh Bhai Patel
साधु बेट (नर्मदा जिला)।मां नर्मदा किनारे, सतपुड़ा व विंध्य पर्वतमाला के बीच नर्मदा जिले के केवडिय़ा में बनी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ को बुधवार को सरदार जयंती पर देश को समर्पित किया। गणतंत्र दिवस जैसे माहौल, मंत्रोच्चार, मोदी के संबोधन, आदिवासियों के विरोध और विपक्ष की गैरहाजिरी के बीच सरदार एक बार फिर विश्व के सबसे बड़े ‘सरदार’ हो गए। इसके साथ ही केवडिय़ा का यह साधु बेट दुनिया के मानचित्र पर आ गया।
१८२ मीटर(५२९ फीट) की प्रतिमा के साथ वहां अत्याधुनिक तकनीक से बने सरदार संग्रहालय और वेली ऑफ फ्लॉवर भी पर्यटकों के लिए खोल दी गई। इसके पहले पर्यटक बनते हुए मोदी ने वहां भ्रमण करने के साथ विजिटर बुक में ‘मन की बात’ लिखी। प्रतिमा के लोकार्पण समारोह मेंं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि- न्यू इंडिया और नए भारत के बढ़ते आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति है ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ ।
...जब मोदी को बदलना पड़ा था विचार
पीएम मोदी ने बताया कि ८ साल पहले सरदार की इस प्रतिमा की विचार यात्रा आज के ही दिन ३१ अक्टूबर २०१० को अहमदाबाद में शुरू हुई। तब वे चाहते थे कि किसी चट्टान को तराश कर सरदार की प्रतिमा बनाई जाए, लेकिन चट्टान नहीं मिली और मिली भी वो इतनी मजबूत नहीं थी। जिसके चलते उन्हें विचार बदलना पड़ा।
यह अभियान उनकी सरकार ने शुरू किया
बीते ४ सालों में देश के नायकों के योगदान को सम्मान देने का अभियान उनकी सरकार ने शुरू किया है, लेकिन देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीतिक चश्मे से देखने का दुस्साहस
करते हैं।
सरदार जैसे महापुरुषों की प्रशंसा करने के लिए भी आलोचना की जाती है। ऐसा अनुभव कराया जाता है, जैसे हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। मोदी ने सभा में लोगों से पूछा कि- देश के महापुरुषों का स्मरण करना अपराध है क्या?
..तो गिर के शेर देखने को लेना पड़ता वीजा
पीएम ने क हा- यदि सरदार ने एक भारत का संकल्प नहीं लिया होता तो गिर केशेर देखने, सोमनाथ में पूजा करने और हैदराबाद की चार मीनार देखने का भी वीजा लेना पड़ता। यही नहीं कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना नहीं होती।
रजवाड़ों के इतिहास का वच्र्युअल म्यूजिम
मोदी ने कहा कि सरदार पटेल के संवाद और एकता की शक्ति से ही देश के ५६० राजा-रजवाड़ों ने अपने राज्यों का अखंड भारत में विलय कर दिया। मेरा सपना है कि इसी स्थान ५६० राजा रजवाड़ों का भी एक वच्र्युअल म्यूजिम तैयार हो।
नहीं दिखे आडवाणी, केशुभाई व वाघेला
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण पर ना तो पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई नजर आए और न ही शंक रसिंह वाघेला। प्रतिपक्ष का कोई बड़ा नेता व गुजरात के सांसद- विधायक भी कम ही दिखे। यहां तक कि वर्ष 2013 में इस प्रोजेक्ट के शिलान्यास पर मौजूद रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी अब जब सपना साकार हुआ तो मौजूद नहीं थे।
वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राज्यपाल ओपी कोहली, सीएम विजय रूपाणी, कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला और मप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जरूर साथ थे। चर्चा रही कि यह मौका सिर्फ भाजपा का ही या गुजरात का ही बनकर रह गया। हालांकि एक माह पूर्व से ही गुजरात सरकार के मंत्री और सचिव देशभर में मुख्यमंत्रियों को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण का न्योता देने गए थे।
Published on:
01 Nov 2018 02:31 am
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