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गठन के बाद से योजनाओं को छोड़ गैर योजना क्षेत्र के विकास में लगा हुआ है एडीए

योजना क्षेत्र में अब तक 75 करोड़ जबकि गैर योजना क्षेत्र में 161 करोड़ हुए खर्च

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गठन के बाद से योजनाओं को छोड़ गैर योजना क्षेत्र के विकास में लगा हुआ है एडीए

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भूपेन्द्र सिंह. अजमेर

घर का पूत कंवरा डोल पाड़ोसी का फेरा। यह कहावत अजमेर विकास प्राधिकरण ada पर सटीक बैठती है। अजमेर विकास प्राधिकरण की 10 में 6 योजनाओं बदहाल हैं लेकिन प्राधिकरण को गैर योजना क्षेत्र non-planning areas में विकास developmen करवाने से engaged फुर्सत नहीं मिल रही है। 13 दिसम्बर 2013 में अपने गठन formation.के बाद प्राधिकरण ने अब तक 236 करोड़ 46 लाख 45 हजार रुपए खर्च कर डाले। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 161 करोड़ 34 लाख 47 हजार रुपए खर्च किए गए। जबकि इसी अवधि में योजना क्षेत्र में केवल 75 करोड़ 11 लाख 98 हजार रुपए ही खर्च हुए। प्राधिकरण के गठन के साथ ही विकास कार्यों के साथ ही राजनीतिक दखल के लिए भी जाना जाता है। जिस दल की सरकार हो वह अपने क्षेत्र में ही विकास करवाना चाहता है। अफसर भी दबाव के आगे घुटने टेक देते हैं, नतीजा सबके सामने है।
तनख्वाह देने के पैसे नहीं,तुड़वानी पड़ी एफडी

एडीए प्रतिमाह अपने कर्मचारियों के वेतन,पेंशन व कार्यालय व्यय पर 1.20 करोड़ रुपए खर्च करता है। एडीए भूखंडों की नीलामी कर कर्मचारियों की तनख्वाह निकाल रहा है। हालत यह हैं सरकार का बकाया चुकाने के लिए एडीए अब अपनी तीन करोड़ रुपए की एफडी तुड़वानी पड़ी।
मेलों में खर्च जा रहे हैं करोड़ों रुपए

अजमेर विकास प्राधिकरण प्रतिवर्ष अजमेर व आसपास के क्षेत्र में मेलों के आयोजन पर भी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करता है। गैर योजना क्षेत्र में मसाणिया धाम पर अब तक करीब 3.45 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यहां आरसीसी शेड,स्टील शेड, सोलर तथा हाइमास्ट लाइटें लगाई गई हैं। पुष्कर में मेले में प्रतिवर्ष 1 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाती है। उर्स मेले पर प्रतिवर्ष 2 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इस वर्ष कायड़ में 2.50 करोड़ रुपए एडीए ने ने खर्च किए हैं। जबकि मिनी उर्स में 50 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। एडीए अधिकारी जिला प्रशासन की बैठक में कई बार इसका विरोध भी कर चुके हैं लेकिन प्रशासन के दबाव में उन्हें यह राशि खर्च करनी पड़ती है।

किस वर्ष कहां कितना पैसा खर्च हुआ
13 दिसम्बर 2013 से 2014-15 के दौरान एडीए ने 56 करोड़ 93 लाख 77 हजार रुपए खर्च किए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 37 करोड़ 22 लाख 62 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में 19 करोड़ 71 लाख 15 हजार रुपए खर्च किए गए।

वर्ष 2015-16 में 36 करोड़ 55 लाख रुपए खर्च हुए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 32 करोड़ 29 लाख 96 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में 20 करोड़ 67 लाख 30 हजार रुपए खर्च किए गए।
वर्ष 2016-2017 में 52 करोड़ 97 लाख खर्च हुए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 32 करोड़ 29 लाख 96 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में20 करोड़ 67 लाख 30 हजार रुपए खर्च किए गए।

वर्ष 2017-2018 में 44 करोड़ 23 लाख 9 हजार खर्च हुए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 36 करोड़ 54 लाख 35 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में 7 करोड़ 68 लाख 74 हजार रुपए खर्च किए गए।
वर्ष 2018-2019 में 28 करोड़ 10 लाख 91 हजार खर्च हुए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 19 करोड़ 63 लाख 64 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में 8 करोड़ 47 लाख 27 हजार रुपए खर्च किए गए।

वर्ष 2019-2020 माह दिसम्बर में 17 करोड़ 66 लाख 42 हजार खर्च हुए। इसमें गैर योजना क्षेत्र में 13 करोड़ 18 लाख 87 हजार रुपए तथा योजना क्षेत्र में 4 करोड़ 47 लाख 55 हजार रुपए खर्च किए गए।

read more: एडीए की चार योजनाओं के 'रेरा में पंजीयन की तैयारी


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