
AIMIM MP Owaisi
Ajmer Sharif Dargah News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन कानून के समर्थन को लेकर अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े प्रमुख लोगों पर निशाना साधा है। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने दरगाह की जिम्मेदार शख्सियतों पर 'ख्वाजा की आस्ताने' के नाम पर सत्ता के साथ खड़े होने का आरोप लगाया।
एक कार्यक्रम में ओवैसी ने कहा कि तुम जो ख्वाजा अजमेरी आस्ताने के जिम्मेदार हो न, मैं संसद में इंशाअल्लाह 'ख्वाजा एक्ट' के संशोधन का एक बिल लाऊंगा। मैं कहूंगा कि तुम नहीं बनोगे, उसमें पसमांदा को बनाना पड़ेगा। उन्होंने साफ किया कि वे अगले संसद सत्र में एक प्राइवेट मेंबर बिल लाकर दरगाह से जुड़े पदों पर प्रतिनिधित्व में बदलाव की मांग करेंगे।
अपने संबोधन में ओवैसी ने कहा कि दरगाह के कुछ लोग सत्ता पक्ष के साथ खड़े होकर मुस्लिम अधिकारों के साथ समझौता कर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कम से कम उस आस्ताने के ताल्लुक का तो लिहाज कर लो। जब हम सब दुनिया से जाएंगे और जब पूछा जाएगा कि तुम्हारा रब कौन है, तो तुम मोदी बोलोगे या अल्लाह? हम तो अल्लाह बोलेंगे। इस बयान के ज़रिए उन्होंने दरगाह से जुड़े लोगों की निष्ठा पर सवाल खड़े किए।
ओवैसी ने केंद्र सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह वक्फ संशोधन कानून मुस्लिम पहचान, हक और संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, हमारा विरोध जारी रहेगा। जैसे किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष किया, हम भी लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करेंगे।
उन्होंने प्रधानमंत्री से कानून वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह लड़ाई लंबी होगी और देशभर के मुसलमान इसके खिलाफ खड़े रहेंगे।
बताते चलें कि इस पूरे विवाद की जड़ में अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े दो प्रमुख नाम हैं- सलमान चिश्ती, दरगाह के खादिम और चिश्ती फाउंडेशन के संस्थापक हैं। दूसरे हैं- सैयद नसरुद्दीन चिश्ती, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी हैं।
इन दोनों ने हाल ही में वक्फ कानून का समर्थन करते हुए इसे मुस्लिम समाज के लिए आवश्यक और संरक्षणकारी कानून बताया था। इस समर्थन को ही लेकर ओवैसी ने अप्रत्यक्ष रूप से दोनों को निशाने पर लिया।
गौरतलब है कि भारत की संसद में 2 अप्रैल को 1995 के वक्फ कानून में बदलाव को लेकर लाया गया 'वक्फ बोर्ड संशोधन बिल' संसद के दोनों सदनों में पास हो गया। बाद में इसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई। इस बिल का मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ महिलाओं को इन बोर्ड में शामिल करना है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह 'उम्मीद विधेयक 2025' के नाम से कानून बन गया है।
Published on:
22 Apr 2025 03:20 pm
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
