
Ajmer Dargah on Madan Dilawar: देशभर में मंदिर-मस्जिद विवाद के बाद अब अजमेर दरगाह शरीफ को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दरगाह में शिव मंदिर होने की याचिका को अजमेर कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। राजनेता अपने-अपने राजनीतिक हितों के अनुसार बयानबाजी कर रहे हैं। शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने शुक्रवार को अजमेर दरगाह विवाद को लेकर प्रतिक्रिया दी है।
अजमेर दरगाह शरीफ में शिव मंदिर को लेकर शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 'इस मामले में कुछ नहीं कह सकता हूं। इसका फैसला न्यायालय करेगा। क्योंकि ये तो सच है कि अधिकांश मस्जिदें बाबर-औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़कर बनवाई थीं। जांच में कोर्ट यदि ये आदेश देता है कि खुदाई करो और खुदाई करने पर जो अवशेष मिलेंगे, उससे निर्णय हो जाएगा।'
इससे पहले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि अजमेर दरगाह शरीफ का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इतिहास गवाह है मुगलों ने भारत में आकर लूट मचाई, धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किया और हमारे धार्मिक स्थलों पर कब्जा तक कर लिया। ऐसे में इतिहास का अध्ययन सभी को करना चाहिए और उसके अनुसार स्वयं को आगे बढ़कर ऐसा निर्णय करना चाहिए, जिससे भाईचारा बना रहे।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले को लेकर गुरुवार को भाजपा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक कानून पारित किया गया था कि 15 अगस्त 1947 तक बने विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे। भाजपा-आरएसएस की सरकार बनने के बाद से ही कुछ लोग धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सभी चुनाव ध्रुवीकरण करके जीते जा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि देश भर से लोग अजमेर दरगाह पर प्रार्थना करते हैं, यहां तक कि पीएम मोदी सहित सभी प्रधानमंत्री अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं। वे भी चादर चढ़ा रहे हैं और उनकी पार्टी के लोग अदालतों में जाकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। किस तरह का संदेश फैलाया जा रहा है? जहां अशांति है, वहां विकास नहीं हो सकता।
Updated on:
29 Nov 2024 01:56 pm
Published on:
29 Nov 2024 12:00 pm
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