आनासागर झील में ठंड बढऩे के साथ प्रवासी पक्षियों के आगमन का सिलसिला शुरू हो गया है। पक्षियों के आगमन के साथ ही शहरवासियों का पक्षी प्रेम भी नजर आने लगा है लेकिन उनका यह प्रेम प्रवासी पक्षियों की सेहत पर कभी भी भारी पड़ सकता है। मॉनिंग वॉक पर आने वाले शहरवासी प्रवासी परिन्दों को नमकीन के साथ तला-भुना खाद्य पदार्थ परोस रहे हैं जबकि पर्यावरणविदों की मानें तो नमकीन व अन्य खाद्य पक्षियों के भोजन का हिस्सा नहीं है। बेसन, नमक, लाल मिर्च और तेल में बनी नमकीन कब परदेसी पावणों की सेहत बिगाड़ दे किसी को अंदाजा नहीं है।
दर्जनों पैकेट की बिक्री आनासागर बारादरी, पुरानी व नई चौपाटी पर रोजाना दर्जनों पैकेट नमकीन और ब्रेड की बिक्री हो जाती है। बकायदा यहां कुछ लोग स्टॉल सजाकर रोजाना बिक्री भी करते है। जब उनसे पक्षियों को खिलाई जाने वाली नमकीन के संबंध में पूछा तो जवाब देते नहीं बना। उनका कहना था कि यहां आने वाले लोग नमकीन मांगते है तो देना पड़ता है।
कौए हो चुके है शिकार
आनासागर झील के आसपास के क्षेत्र में पिछले दिनों सौ से ज्यादा कौए रानीखेत बीमारी खूनी दस्त से दम तोड़ चुके हैं। आमतौर पर प्रवासी पक्षियों के साथ कौए भी आनासागर बारादरी, पुरानी और नई चौपाटी पर नमकीन व यहां डाला जाने वाले खाद्य पदार्थ खाते है।
कौए हो चुके है शिकार
आनासागर झील के आसपास के क्षेत्र में पिछले दिनों सौ से ज्यादा कौए रानीखेत बीमारी खूनी दस्त से दम तोड़ चुके हैं। आमतौर पर प्रवासी पक्षियों के साथ कौए भी आनासागर बारादरी, पुरानी और नई चौपाटी पर नमकीन व यहां डाला जाने वाले खाद्य पदार्थ खाते है।
ये है समाधान -प्रवासी पक्षियों को तला हुआ पापड़, नमकीन जैसा खाद्य पदार्थ न खिलाए -पक्षियों को प्राकृतिक व जलीय खाद्य सामग्री पर छोड़ दें -जागरूकता की जरूरत एक्सपर्ट व्यू
प्राकृतिक भोजन ही सर्वश्रेष्ठ
प्राकृतिक भोजन ही सर्वश्रेष्ठ
प्रवासी हो या अन्य पक्षी। किसी को भी तला हुआ पदार्थ नहीं खिलाना चाहिए। पक्षी तो भोजन समझकर खा लेता है। फोटो करने के लिए पापड़, पॉपकॉर्न व नमकीन खिलाई जा रही है जो उनके लिए घातक है। जागरूकता की जरूरत है। प्रवासी पक्षी जलीय व नेचुरल फूड पर निर्भर रहते हैं उन्हें कुछ खिलाने की आवश्यकता नहीं। उन्हें उनका भोजन मिलता है तभी या पहुंचते है। नमकीन व ब्रेड खिलाने से वे प्राकृतिक खाना छोड़ देते हंै। पानी में गिरी खाद्य सामग्री डिकम्पोज के बाद पानी को दूषित कर ऑक्सीजन कम करती है। इसका नुकसान भी पक्षियों व मछलियों को होता है।
-प्रो. प्रवीण माथुर, विभागाध्यक्ष पर्यावरण विभाग मदस विवि