
ajmer news जयपुर.
छेडछाड़ व पॉक्सो एक्ट की धाराओं में दर्ज मामले में अजमेर नगर निगम (Ajmer Nagar Nigam) के पूर्व उप महापौर सोमरत्न आर्य की मुश्किल बढ़ सकती हैं। हाईकोर्ट (High Court) ने आर्य से दो सप्ताह में जवाब मांगा है कि क्यों न अधीनस्थ अदालत (court) से मिली जमानत (bail) को रद्द कर दिया जाए। न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी ने पीडि़ता के परिवार की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया। पीडि़त परिवार की ओर से आर्य के खिलाफ 30 जून 2019 को अजमेर के किश्चियनगंज (police) थाने में नाबालिग से छेडछाड़ व पॉक्सो एक्ट (pocso act) के तहत मामला दर्ज कराया गया।
पीडि़त परिवार की ओर से अधिवक्ता माधव मित्र ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में अजमेर की पॉक्सो कोर्ट (pocso court) से 10 जुलाई 19 को आर्य को अग्रिम जमानत मिल गई और अधीनस्थ अदालत ने राजनीतिक व सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचने के आधार पर जमानत (bail) दे दी। पीडि़त परिवार ने अधीनस्थ अदालत के आदेश का विरोध करते हुए अग्रिम जमानत (anticipatory bail) का आदेश रद्द करने की गुहार की। इस पर कोर्ट (court) ने आर्य को नोटिस (notice) जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व उपसभापति सोमरत्न आर्य के खिलाफ अजमेर के क्रिश्चियनगंज (police) थाने में नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बाद में पीडि़ता के कोर्ट में भी बयान हुए थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी के डर से पूर्व उपमहापौर भूमिगत हो गए थे। उनकी ओर से भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष को भी इस्तीफा दिया था। पुलिस ने कई जगह-जगह उनकी तलाश भी की थी। लेकिन वे नहीं मिले। इस दौरान सोमरत्न आर्य की ओर से वकील ने अजमेर में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। बाद में कोर्ट ने आर्य को अग्रिम जमानत दे दी थी। इसके बाद में आर्य सामने आए थे।
Published on:
21 Jul 2019 12:28 pm
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