अजमेर.
गरीब नवाज की दरगाह (garib nawaz dargah) में हाजिरी देने की चाहत लेकर आए दूरस्थ प्रदेशों के जायरीन (pilgrims) दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। ना इन्हें छत ना भोजन-पानी नसीब है। नौसर प्राइवेट बस स्टैंड और कायड़ विश्राम स्थली से खदेड़े गए जायरीन की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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दरगाह (ajmer dargah) की जियारत के लिए सालभर अजमेर में जायरीन की आवजाही होती है। इनमें यूपी (U.P), बिहार (bihar), छत्तीसगढ़ (chattisgarh), झारखंड (jharkhand), पश्चिम बंगाल (west bengal), मध्यप्रदेश (M.P.) सहित अन्य प्रदेश शामिल हैं। अमूमन जायरीन कायड़ विश्राम स्थली, पुष्कर रोड स्थित पुरानी विश्राम स्थली अथवा अस्थाई ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थली में रुकते रहे हैं।
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यूं खदेड़ा बसों को
यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल से शनिवार रात जायरीन (pilgrims in ajmer) की 25 बस नौसर स्थित प्राइवेट बस स्टैंड पहुंची। मध्य रात्रि में पुलिस (police) और प्रशासन (administration) ने उन्हें रवाना कर दिया। जायरीन बसों में बैठकर कायड़ विश्राम स्थली पहुंचे। यहां भी उन्हें प्रवेश की मनाही का तर्क देकर चलता कर दिया गया।
खुले आसमान तले बसेरा
जायरीन ने कायड़ विश्राम स्थली के निकट अजमेर-बीकानेर हाईवे (highway) पर डेरा जमाया। यहां प्रति बस तीन सौ रुपए पार्र्किंग शुल्क वसूला गया। जायरीन के लिए पेयजल (drinking water), शौचालय (toilets) के बंदोबस्त नहीं है। वे खुले आसमान रुकने को मजबूर हैं। जबकि सालाना उर्स (garib nawaz urs) और मोहर्रम पर मिनी उर्स (mini urs) में जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी जायरीन के ठहरने के बंदोबस्त करती है।
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हम तीन साल से लगातार नौसर घाटी बस स्टैंड पर रुकते रहे हैं। इस बार बसों को ठहराने के कोई बंदोबस्त नहीं है। सरकार और जिला प्रशासन को कोई परवाह नहीं है।
आलम शाह, मिदनापुर पश्चिम बंगाल
नौसर पार्र्किंग और कायड़ विश्राम स्थली से खदेड़ दिया गया। तीन सौ रुपए पार्र्किंग शुल्क लेने के बाद भी कोई इंतजाम नहीं है।
बबलू, बरेली उत्तर प्रदेश