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सिर्फ वैशाख पूर्णिमा पर होता है यह काम, रोकनी पड़ती है आवाज और सांस

विभिन्न क्षेत्रों में मचान बांधकर वन्य जीव की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

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annual census of forest dept

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रक्तिम तिवारी/अजमेर।

वन विभाग सालाना वन्य जीव गणना की तैयारियों में जुट गया है। सोमवार सुबह 10 बजे से वन क्षेत्रों में जलाशयों के किनारे गणना की जाएगी। इसके लिए वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

वन विभाग प्रतिवर्ष वैशाख पूर्णिमा पर अजमेर , किशनगढ़, टॉडगढ़, जवाजा ब्यावर, शोकलिया, पुष्कर और अन्य क्षेत्रों में वन्य जीव की गणना करता है। इनमें पैंथर, सियार, लोमड़ी, साही, हिरण, खरगोश, अजगर, बारासिंगा और अन्य वन्य जीव शामिल होते हैं। वन्य जीव की गणना के लिए वनकर्मी विभिन्न क्षेत्रों में मचान बांधकर वन्य जीव की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इस साल भी सोमवार को वैशाख पूर्णिमा पर सुबह 10 बजे से वन्य जीव गणना प्रारंभ होगी। यह मंगलवार सुबह 10 बजे तक चलेगी।

इन क्षेत्रों में जनगणना

जिले के अजयपाल बाबा मंदिर , गौरी कुंड, चौरसियावास तालाब, आनासागर, फायसागर, चश्मा ए नूर, नरवर, मदार, हाथीखेड़ा, नसीराबाद और अन्य इलाकों में जनगणना होगी। इसी तरह किशनगढ़ में गूंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, माना घाटी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, माखुपुरा नर्सरी के निकट, कोटाज वन खंड, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच, नारायणसिंह का कुआं, सावर-कोटा मार्ग और अन्य वाटर हॉल पर गणना होगी। उप मुख्य वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा सहित रेंजर, फॉरेस्टर और अन्य मोर्चा संभालेंगे

पैंथर पर खास निगाहें

वन कर्मियों की पैंथर पर निगाहें रहेंगी। जिले के ब्यावर-जवाजा क्षेत्र सहित कल्याणीपुरा, तारागढ़ क्षेत्र में कई बार पैंथर देखे गए हैं। लेकिन विभागीय गणना के दौरान पैंथर नहीं दिखे हैं। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है। इसी तरह अजमेर मंडल में सियार तेजी से घट रहे हैं। 15-10 साल पहले तक मंडल में करीब 200 सियार थे। अब इनकी संख्या घटकर 25-40 तक रह गई है।

गोडावण हुए नदारद

जिले के शोकलिया वन्य क्षेत्र से गोडावण नदारद हो चुके हैं। पिछले कई साल से वन विभाग को यहां गोडावण नहीं मिले हैं। 2001 की गणना में यहां 33 गोडावण थे। 2002 में 52, 2004 में 32 गोडावण मिले। इसके बाद यह सिलसिला घटता चला गया। पिछले पांच-छह साल में यहां एक भी गोडावण नहीं मिले हैं। वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 37के तहत शोकालिया वन क्षेत्र शिकार निषिद्ध क्षेत्र घोषित है।