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बंजर जमीन का होगा उपयोग,किसान 3.14 रुपए की दर से बेच सकेगा बिजली

बिजली खरीद के लिए ऊर्जा विकास निगम से हुआ करार

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bor solar plant

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अजमेर. केन्द्र सरकार के नवीन एंव नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना (पीएम कुसुम) कम्पोनेंट-ए के तहत प्रदेश के किसान अब बिजली बेच सकेंगे। किसानों की अनुपयोगी/बंजर भूमि Barren land पर सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली की खरीद के लिए farmers कृषकों/ विकासकर्ताओं एवं राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के बीच ‘विद्युत क्रय अनुबंध’(पावर परचेज एग्रीमेंट) हो गया है। प्रदेश के 623 कृषकों/ विकासकर्ताओं ने कम्पोनेंट-ए के तहत 722 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के आवंटन पत्र जारी किए गए हैं। इन योजनाओं में चयनित किसान/ विकासकर्ता सौर ऊर्जा सयंत्रों से उत्पादित बिजली को 3.14 रुपए की दर से 25 वर्ष तक बेच सकेंगे। अजमेर जिले में 9 जगहों पर किसानों द्वारा कम्पोनेंट-ए के तहत सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा।जिले के पड़ांगा में 0.5 मेगावाट,पाटन 1 मेगावाट, बधवाड़ा 1 मेगाावाट,भदूण 1 मेगावाट,कुचील 0.5 मेगावाट, उऊंटडा 1 मेगावाट, जेठाना 2 मेगावाट बिजली electricity का उत्पादन होगा।

तीन साल में 2600 मेगावाट का लक्ष्य

सरकार ने बजट घोषणा 2019-20 में आगामी तीन वर्षों में कुल 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट किसानों की बंजर/अनुपयोगी भूमि पर स्थापित कर उनसे उत्पादिन बिजली खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसमें से 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं से उत्पादित बिजली खरीद के लिए 623 किसानों/ विकासकर्ताओं से पावर परचेज एग्रीमेंट किया गया है। शेष 1878 मेगावाट क्षमताओं की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए आगामी चरणों में कार्यवाही की जाएगी।

0.5 से 2 मेगावाट तक के लग सकते हैं प्लांट

इस योजना के तहत किसान/ विकासकर्ताओं द्वारा स्वंय की अनुपयोगी/ बंजर भूमि पर 0.5 से 2 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्रों की स्थापना की जा सकती है। इससे किसानों कों उनकी बंजर/ अनुपयोगी भूमि से 25 वर्ष तक नियमित आय प्राप्त होगी। इसके अलावा विद्युत वितरण निगमों की विद्युत छीजत में तथा सिस्टम विस्तार में होने वाले खर्च में भी कमी जाएगी।

इनका कहना है

इस योजना में किसान सम्बन्धित जीएसएस क्षेत्र में बेकार पड़ी भूमि पर सोलर प्लांट लगाकर एक निश्चित लाभ 25 साल तक अर्जित कर सकेंगे। इससे उनका आर्थिक उत्थान होगा। बेकार पड़ी भूमि का भी उपयोग हो सकेगा।

आर.बी.सिंह, परियोजना प्रबन्धक,आरआरईसी, अजमेर/ उदयपुर संभाग

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