
online exams
रक्तिम तिवारी/अजमेर
राज्य के विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षाएं होना मुश्किल हैं। अव्वल तो विश्वविद्यालयों के पास स्कैनर, ई-पेपर और कंप्यूटर लैब जैसे संसाधन नहीं हैं। तिस पर विषयवार पेपर बनाना और निर्बाध ऑनलाइन कनेक्टिविटी भी चुनौती है।
यूजीसी ने प्रो. नागेश्वर राव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने देश के संसाधनों वाले विश्वविद्यालयों में बकाया परीक्षाएं ऑनलाइन कराने का सुझाव दिया है। प्रो. राव कमेटी के सुझाव पर राजस्थान के विश्वविद्यालय खरे नहीं उतरते हैं।
कभी नहीं कराई ऑनलाइन परीक्षाएं
राज्य में 28 सरकारी और 51 निजी विश्वविद्यालय हैं। सरकारी विश्वविद्यालयों में पिछले 70 साल में वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाएं पारम्परिक तरीके से हो रही हैं। स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के पेपर और कॉपियां कॉलेज में पहुंचाई जाती हैं। विद्यार्थी टाइम टेबल के अनुसार विषयवार पेपर देते हैं। इन कॉपियों की परीक्षक जांच करते हैं। जिसके आधार पर विश्वविद्यालय परिणाम जारी करते हैं।
यूं मुश्किल है ऑनलाइन परीक्षा
-ऑनलाइन ई-पेपर बनाना और सुरक्षित रखना
-शहर और उपखंड मुख्यालय पर विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर लैब
-परीक्षा के दौरान बाधा रहित ऑनलाइन कनेक्टिविटी
-कॉपियों की तुलना में ओएमआर प्रिंटिंग महंगी
-ओएमआर अथवा कॉपियों की जांच के लिए स्कैनर
-विद्यार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा के लिए प्रशिक्षण
कई विश्वविद्यालय कराते हैं ऑनलाइन परीक्षा
पुणे स्थित भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एम.एम.सालुंखे ने बताया कि विद्यार्थियों की सेमेस्टर और कई विषयों की वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन कराई जाती हैं। देश के कई आईआईटी, आईआईएम, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी ऑनलाइन परीक्षाओं की सुविधाएं हैं।
वार्षिक परीक्षाओं के पेपर की सुरक्षा सबसे अहम है। प्रत्येक सरकारी और निजी कॉलेज स्तर पर हाईटेक कंप्यूटर लैब और निर्बाध ऑनलाइन कनेक्टिविटी भी चाहिए। तभी ऑनलाइन परीक्षाएं होनी संभव हैं।
प्रो. पी. सी. त्रिवेदी, कुलपति जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी
कैंपस के छोटे सेमेस्टर परीक्षाओं में तो प्रयोग किया जा सकता है। वार्षिक परीक्षाओं में हजारों विद्याथी बैठते हैं। इसके लिए व्यापक तैयारियां चाहिए।
प्रो. कैलाश सोडाणी, कुलपति गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय
ऑनलाइन परीक्षाएं कराना आसान नहीं हैं। इनके लिए व्यापक तैयारियां और हाईटेक व्यवस्थाएं होनी जरूरी हैं। प्रो. आर. पी. सिंह, कुलपति मदस विश्वविद्यालय
Published on:
27 Apr 2020 07:26 am
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