
university exam in rajasthan
अजमेर.
कोरोना वायरस संक्रमण और लॉक डाउन को देखते हुए विश्वविद्यालय शीघ्र सरकार और उच्च शिक्षा विभाग से चर्चा करेंगे। केवल प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने और बाकी कक्षाओं की परीक्षाएं कराने पर विश्वविद्यालयों का जोर रहेगा। हालांकि हालात सामान्य होने पर ही यह संभव होगा।
कोरोना संक्रमण के चलते लगातार दूसरे बार राजस्थान सहित सभी राज्यों में हालात खराब हैं। सभी राज्यों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाएं स्थगित की गई हैं। संक्रमण के हालात को देखते हुए कॉलेज और विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं कराना आसान नहीं है।
पिछले साल किया था प्रमोट
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल करीब 50 दिन लॉकडाउन रहा था। इसके चलते राज्य स्तर पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने स्नातक प्रथम और द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रमोट करने का फैसला किया था। जबकि तृतीय वर्ष और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराई गई थीं।
लगातार प्रमोशन नहीं ठीक
कोरोना संक्रमण के चलते हालात इस वर्ष ज्यादा खराब हैं। कुलपतियों, शिक्षाविदों का मानना है, कि विद्यार्थियों को लगातार दूसरी साल प्रमोशन देना ठीक नहीं है। इससे उनकी शैक्षिक अभिरुचियों, परफॉरमेंस और पढ़ाई पर असर पड़ेगा। लगातार दो साल प्रमोट होने से विश्वविद्यालयों के लिए भी उनका तृतीय वर्ष का रिजल्ट तैयार करना आसान नहीं होगा।
इन बिंदुओं पर कुलपति करेंगे चर्चा....
-केवल प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष में प्रमोट
-द्वितीय, तृतीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध, उत्तर्राद्र्ध की हों परीक्षाएं
-विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोविजनल प्रवेश
-पढ़ाई और परीक्षाओं में विलंब के चलते नहीं हों छात्रसंघ चुनाव
-यूजीसी और केंद्रीय शिक्षा विभाग से की जाए चर्चा
-जुलाई में सत्र की शुरुआत के साथ सिर्फ पढ़ाई
काश होता ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प
राजस्थान में 27 सरकारी विश्वविद्यालय हैं। इनसे राज्य के 328 सरकारी और 1852 निजी कॉलेज सम्बद्ध हैं। इनमें सत्र 2020-21 की स्नातक और स्नातकोत्तर की विषय की परीक्षाएं कराई जानी हैं। किसी विश्वविद्यालय में ऑनलाइन परीक्षाएं कराने के विकल्प और संसाधन नहीं हैं। जबकि दुनिया में केम्ब्रिज, स्टेनफोर्ड, मिशिगन, हावर्ड सहित नामचीन विश्वविद्यालय ऑनलाइन परीक्षाएं लेकर तत्काल परिणाम जारी करते हैं।
लगातार दूसरे साल विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रमोट करना व्यवहारिक नहीं होगा। इससे उनकी शैक्षिक परफॉरमेंस और ज्ञानार्जन पर असर पड़ेगा। दो साल की पढ़ाई से ही तृतीय वर्ष का मूल्यांकन संभव होता है। हालात को देखते हुए केवल प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करें तो ठीक हैं। हम उच्च शिक्षा विभाग से इस पर चर्चा करेंगे।
प्रो. पी. सी. त्रिवेदी, कुलपति जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर
Published on:
14 May 2021 08:21 am
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