बीएड, बीपीएड और अन्य कॉलेज के दस्तावेजों की जांच कर त्वरित सम्बद्धता देने के लिए तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली के निर्देश पर बीते साल 4 से 6 जुलाई तक शिविर आयोजित किए गए थे। द्वितीय चरण में 8 और 9 अगस्त को शिविर लगाए जाने थे। इस दौरान 21 जुलाई प्रो. श्रीमाली का देहान्त हो गया। तबसे विश्वविद्यालय में परिस्थितियां बदली हुई है।
यूं सामने आती रही परेशानी..
प्रो. श्रीमाली के देहान्त के बाद 19 दिन तक कोई कार्यवाहक अथवा स्थाई कुलपति नहीं रहा। 10 अगस्त को प्रो. कैलाश सोडाणी को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। लेकिन उनके अल्प कार्यकाल में शिविर नहीं लग पाए। 6 अक्टूबर प्रो. आर. पी. सिंह कुलपति नियुक्त हुए। लेकिन 11 अक्टूबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके कामकाज पर रोक लगा दी। तबसे विश्वविद्यालय में कामकाज प्रभावित है। बीएड कॉलेज के जांच शिविर को प्रशासन भुला चुका है।
प्रो. श्रीमाली के देहान्त के बाद 19 दिन तक कोई कार्यवाहक अथवा स्थाई कुलपति नहीं रहा। 10 अगस्त को प्रो. कैलाश सोडाणी को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। लेकिन उनके अल्प कार्यकाल में शिविर नहीं लग पाए। 6 अक्टूबर प्रो. आर. पी. सिंह कुलपति नियुक्त हुए। लेकिन 11 अक्टूबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके कामकाज पर रोक लगा दी। तबसे विश्वविद्यालय में कामकाज प्रभावित है। बीएड कॉलेज के जांच शिविर को प्रशासन भुला चुका है।
मच गई थी संचालकों में खलबली प्रो. श्रीमाली ने सत्र 2018-19 में बीए/बीएससी बीएड और दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कॉलेज को अस्थाई सम्बद्धता में वृद्धि, नवीन सम्बद्धता देने के लिए शिविर लगाया था। इससे कॉलेज संचालकों में खलबली मच गई थी। संचालकों ने केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों और अन्य रसूखात काम में लिए। लेकिन कुलपति ने नेताओं को भी साफ इन्कार कर दिया था। अधिकांश कॉलेज के दस्तावेजों में कई तरह की कमियां निकली। इनमें कम्प्यूटर, पुस्तकों और शिक्षकों की कमी, खेल मैदान और अन्य संसाधन जैसे कारण सामने आए थे।