
cattle on highway
जिला मुख्यालय पर बीच सड़क मवेशियों का जमघट कोई नई बात नहीं है। शहर के गली-मोहल्ले ही नहीं, बल्कि प्रमुख व्यस्त सड़क मार्गों पर भी मवेशी विचरण करते या बैठे देखे जा सकते हैं। ऐसे में सड़क मार्ग जाम के साथ-साथ दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है। यही हालात अजमेर-जयपुर हाइवे की भी है।
कांकरदा-भूणाबाय,घूघरा, गगवाना, गेगल के पशुपालक भी मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं जो सड़क बीच घूम रहे हैं। दरअसल, इन मवेशियों में अधिकतर दुधारू हैं। कुछ ही मवेशी ऐसे हैं, जिन्हें भटकते (आवारा) कहा जा सकता है। पशुपालक गाय का दूध दुहने के बाद इन्हें खुले में छोड़ रहे हैं जो बाद में इधर-उधर मुंह मारते फिरते हैं।
कई पशुपालक सुबह-शाम दूध दुहने के बाद गायों को खूंटे से मुक्त कर रहे हैं। पहली अजमेर शहर के कुछ स्थानों पर लोग धर्म के नाम गायों को चारा भी डाल रहे हैं। इसके चलते भी इनका पेट भर जाता है तो कुछ गायें खाद्य पदार्थ के लालच में पॉलीथिन की थैलियां निगल रही है। वैसे तो झलकारी बाई स्मारक के समीप नगर निगम की ओर से गौशाला संचालित हैं, लेकिन यहां गायों को रखने की सीमा है।
कभी-कभी निगम की ओर से आवारा जानवरों को पकडऩे का अभियान चलाया जाता है तो पशुपालक जुर्माना देकर उन्हें छुड़ा लाते हैं। अजमेर में मवेशियों के झुण्ड इसलिए भी भटक रहे हैं कि उन्हें मुफ्त में चारा मिल रहा है। यदि लोग बीच चौराहा या सड़क किनारे गायों को चारा डालना बंद कर दें तो यह समस्या ही नहीं रहेगी।
पुष्कर में भी यही समस्या
तीर्थ नगरी पुष्कर में भी मवेशियों के झुण्ड की समस्या है। यहां धर्म के नाम हजारों लोग रोजाना गायों को चारा डाल रहे हैं। ऐसे में मेला स्थान, बस स्टैण्ड, पुष्कर सरोवर के बाहर, घाटों, ब्रह्मा मंदिर के बाहर,प्रमुख होटल-ढाबों के बाहर मवेशियों का जमघट देखा जा सकता है।
इससे यातायात बाधित रहने व गंदगी की समस्या है। यहां भी पूरे साल पर्यटकों की आवाजाही रहती है। इसके चलते पुष्कर की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
पशुपालक हों पाबंद
मवेशियों के भटकते झुण्ड से निजात पाने के लिए पशुपालकों को पाबंद करना होगा। इसके लिए जुर्माना राशि दस गुना बढ़ाना भी एक विकल्प है। ऐसे में पशुपालकों की जेब ढीली होगी तो वे बार-बार गलती करने से कतराएंगे।
इसी प्रकार जो लोग धर्म के नाम गायों को चारा डाल रहे हैं वे गौशाला जाकर सहयोग करें तो समस्या कम हो सकती है। अजमेर शहर में ऐसे मवेशियों की संख्या भी अधिक है जो बीमार व बूढ़े हो गए। इनमें कुछ सांड भी हैं, जिनका कोई मालिक नहीं है।
ऐसे मवेशी ज्यूस सेंटर, सब्जी मंडी, रेस्टोरेंट, कचौरी-समोसा शॉप समेत अन्य स्थानों के अपशिष्ट खाने को मजबूर हैं।
यहां अधिक समस्या
मवेशियों के झुण्ड वैशाली नगर, बजरंग गढ़,चौपाटी,अहिंसा सर्किल, आगरा गेट,गांधी भवन सर्किल, रेलवे स्टेशन के बाहर, केसरगंज, मदार पुलिया श्रीनगर रोड, मार्टिंडल ब्रिज, गर्वमेंट कॉलेज चौराहा, रीजनल कॉलेज चौराहा, नगर, सावित्री चौराहा, सिविल लाइंस, बकरा मंडी, फॉयसागर रोड, माकड़वाली चौराहा, मेडिकल कॉलेज, दरगाह बाजार इलाके में अधिक देखे जा सकते हैं।
छवि को लग रहा बट्टा
अजमेर शहर का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्वाजा साहब की दरगाह के चलते अच्छी पहचान है। यहां पूरे साल भारत के कोने-कोने के अलावा विदेशों से भी जायरीनों की आवाजाही रहती है। ऐसे में प्रमुख सड़कों व चौराहों पर मवेशियों के झुण्ड अजमेर की छवि को बट्टा लगा रहे हैं।
यह मवेशी यातायात को ही बाधित नहीं कर रहे, बल्कि मूत्र व गोबर विसर्जन से भी गंदगी को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयासों में परेशानी आएगी।
नगर निगम की ओर से समय-समय पर अभियान चलाकर मवेशियों को पकड़ा जा रहा है। पशुपालकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। शहर के चौराहे व सड़क किनारे धर्म के नाम चारा डालना बंद होना चाहिए। इसके लिए लोगों के जागरूक होने की आवश्यकता है।
धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर नगर निगम
Published on:
11 Aug 2016 08:06 pm
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