
.‘चरित्र पूजा से ही बना जा सकता है चक्रवती व विश्वगुरु’
महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों के प्रति भ्रातियों पर प्रहार करते हुए वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया। यह बात मुख्य वक्ता व शिक्षाविद् हनुमान सिंह राठौड़ ने कही। वह रविवार को पंचशील िस्थत एक निजी स्कूल के ऑडिटोरियम में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200 वीं जयंती वर्ष पर डॉ. हेडगेवार स्मृति सेवा प्रन्यास व माधव स्मृति सेवा प्रन्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।प्रन्यास के अध्यक्ष जगदीश राणा ने अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि परोपकारिणी सभा के आचार्य सत्यव्रत मुनि ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डाला। उनके जीवन के गुण, सत्य को जानने की तीव्र इच्छा, ज्ञान प्राप्ति की उत्कंठता समाज सुधार की दिशा में किए गए प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं।उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने वेदों की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की व समाज में फैली कुरीतियों व अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास किया। उनके द्वारा स्थापित डीएवी संस्थान के योगदान को कोई भूल नहीं सकता। वर्ष 1875 से 1918 के दौरान 1664 डीएवी स्कूलों की स्थापना, जिनमें 55 स्कूल अस्पर्श समाज के बच्चों के लिए थे। महानगर संघचालक खाजुलाल चौहान ने आभार जताया।
Published on:
26 Feb 2024 12:16 am
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