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चुनावी साल में सरकार की है खास परीक्षा, नहीं हुई भर्तियां तो होगा ये अंजाम……

अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में पेपर छपाई और गोपनीय कामकाज हुए सवालिया निशान लग सकते हैं।

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rpsc and govt

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अजमेर

राजस्थान लोक सेवा आयोग की निगाहें स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष पर टिकी हैं। अगस्त से अक्टूबर तक तीन अहम परीक्षाएं होनी हैं। सरकार ने आयोग को सिर्फ सदस्यों और सचिव के भरोसे छोड़ दिया है। अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में पेपर छपाई और गोपनीय कामकाज हुए सवालिया निशान लग सकते हैं।

आयोग को 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 करानी है। इसमें करीब 5.10 लाख आवेदन मिले हैं। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए प्रधानाध्यापक प्रतियोगी परीक्षा-2017 का आयोजन 2 सितम्बर को होगा। इसके लिए 97हजार 596 आवेदन मिले हैं। उप निरीक्षक (पुलिस) प्रतियोगी परीक्षा-2016 का आयोजन 7 अक्टूबर को किया जाएगा। इसमें 4 लाख 66 हजार 282 अभ्यर्थी शामिल होंगे। तीनों परीक्षाओं से करीब 2567 पदों पर भर्तियां होनी हैं।

अध्यक्ष का इंतजार
पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर. एस. अग्रवाल के कार्यकाल समाप्ति के बाद 68 दिन से सरराक ने आयोग में स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष तैनात नहीं किया है। आयोग 6 सदस्यों और सचिव सहित अन्य अधिकारियों-कार्मिकों के भरोसे संचालित है। यहां नियमित फाइलें निकलने के अलावा संशोधित परिणाम और मेरिट लिस्ट निकालने और बकाया भर्तियों के साक्षात्कार जारी हैं।

अब बढ़ेंगी चुनौतियां

आयोग के लिए अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर बेहद खास हैं। तीनों अहम परीक्षाओं के लिए आयोग प्रशासन की तैयारियां नहीं दिख रही हैं। इनमें सबसे खास और प्रतिष्ठित परीक्षा आरएएस प्रारंभिक-2018 है। पेपर प्रिंटिंग और अन्य कार्य बेहद गोपनीय होते हैं। स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में यह काम हुए तो चुनौतियां बढ़ सकती हैं। हालांकि इसके लिए फुल कमीशन चाहे तो सर्वसम्पति से फैसला ले सकता है। लेकिन कोई भी सदस्य सरकार की इजाजत के बिना इसकी अधिकृत जिम्मेदारी लेना नहीं लेना चाहेगा।

18 हजार से अधिक भर्तियां
चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार ने आयोग को विभिन्न विभागों में 18 हजार से ज्यादा भर्तियां सौंपी है। आयोग ने मार्च अंत से जून तक अधिकांश भर्तियों के विज्ञापन निकालकर आवेदन ले लिए। परीक्षा और भर्तियां समय पर नहीं हुई तो सरकार की किरकिरी होना तय है। वैसे भी द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में विलम्ब के चलते अभ्यर्थी सरकार और आयोग से नाराज हैं। पूर्व कीन अन्य भर्तियों से भी बेरोजगार संतुष्ट नहीं है।


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