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अजमेर
देश के सभी विश्वविद्यालयों को स्वच्छता और हरियाली के आधार पर रेटिंग देना जारी है। इसके लिए यूजीसी की टीम बुलाने को लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में संशय की स्थिति है। अव्वल तो कुलपति की गैर मौजूदगी में टीम आना मुश्किल है। तिस पर विश्वविद्यालय की कोई तैयारी भी नहीं दिख रही है।
यूजीसी ने साल 2017 से देश के सभी विश्वविद्यालयों को स्वच्छता और हरियाली के आधार पर रेटिंग देने की योजना प्रारंभ की है। इसमें केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, सरकारी और निजी कॉलेज को शामिल किया गया है। योजना के तहत सभी संस्थाओं से आवेदन मांगे जाते हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने दो वर्ष पूर्व क्लीन-ग्रीन कैंपस रेटिंग के लिए आवेदन किया था। यूजीसी के उच्च स्तरीय दल ने उसी साल 23 अगस्त को विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। टीम ने महाराणा प्रताप भवन, चाणक्य भवन, कुलपति सचिवालय सहित विभिन्न भवनों और परिसर का दौरा किया। साथ ही कचरे का निष्पादन, हरियाली और अन्य बिन्दुओं को नोट किया।
नहीं मिली थी रैंकिंग
खुद को ग्रीन और क्लीन कैंपस बताने वाले विश्वविद्यालय को यूजीसी की टीम ने रैंकिंग नहीं दी। टीम ने कई बिन्दुओं पर विश्वविद्यालय को पिछड़ा माना था। राजस्थान से महज एक निजी संस्थान को रैंकिंग मिल पाई थी। कई विश्वविद्यालयों ने आवेदन भी नही किया था।
पिछले साल नहीं बुलाई टीम
कोई रैंकिंग नहीं मिलने के कारण विश्वविद्यालय ने पिछले साल यूजीसी की टीम नहीं बुलाई। इस बार भी क्लीन और ग्रीन कैंपस योजना में आवेदन और यूजीसी टीम बुलाने को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं है। फिलहाल कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज करने पर रोक लगी हुई है। कुलसचिव भी स्थाई नहीं है। ऐसे में विश्वविद्यालय यूजीसी की टीम बुलाकर जोखिम नहीं उठाना चाहता है।
Published on:
11 Jul 2019 06:33 am
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