समय पर नहीं पहुंच पाते इमरजेंसी वाहन आपातकालीन सेवाओं ,आंतरिक सुरक्षा व आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से भी यह बैरियर उचित नहीं है। बैरियर लगे रहने के कारण आपातकालीन वाहन, एम्बुलेंस ,पुलिस, अग्निशमन वाहन आदि भी घटना स्थल पर सही समय पर नहीं पहुंच पा रहे है।
वाहनों को लगाना पड़ता है कई किमी का चक्कर स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित हो रहे शहर के विकास में उत्तर पश्चिम रेलवे की सड़कों पर लगे बैरियर बाधक बन रहे हैं। आपात स्थित में पुलिस, फायर ब्रिगेड और एम्बुलेस को भी रास्ता नहीं मिल पाता है। इन वाहनों को कई किलोमीटर का लम्बा चक्कर लगाना पड़ता है। इससे देरी होती है और नुकसान अधिक होता है। इसके अलावा इन सड़कों से वाणिज्यिक वाहन तथा आम आदमी के एसयूवी भी नहीं निकल पाती हैं। इसे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते अन्य सड़कों पर यातायाता का दबाव बढ़ जाता है।
श्रद्धालु भी होते हैं परेशान रेलवे परिसर में ही जैन समाज का दादाबाड़ी तीर्थ है। यहां चातुर्मास के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु है। बैरियर के चलते उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। श्री जिनदत्त सूरि मंडल दादावाड़ी के अध्यक्ष गुमानमल लोढ़ा, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, संघ के अध्यक्ष विक्रम पारख ने भी रेल प्रशासन व जिला प्रशासन से इस समस्या को दूर करने की मांग की। मंडल पदाधिकारियों का कहना है कि तीर्थ आने वाली बसों के लिए गर्डर को अस्थायी रूप से खोल दिया जाए व बाद में उसे पुन: बंद कर दिया जाए तो भी समस्या का निवारण हो सकता है।