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घोषणा करने वाला विश्वविद्यालय नौ महीने में कोई पहल नहीं कर पाया है। सरकार की मंजूरी के बिना इसकी राह आसान नहीं है।

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constituent college

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अजमेर

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का अपना 'संघठक कॉलेज बनाने का प्रस्ताव कागजों में दब गया है। खुद के एक्ट के भरोसे घोषणा करने वाला विश्वविद्यालय नौ महीने में कोई पहल नहीं कर पाया है। सरकार की मंजूरी के बिना इसकी राह आसान नहीं है।

1 अगस्त 1987 को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का कोई संघठक कॉलेज नहीं है। जबकि राज्य में राजस्थान विश्वविद्यालय, उदयपुर के एम.एल. सुखाडिय़ा और जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के संघठक कॉलेज हैं। कुछ नए खुले विश्वविद्यालयों को भी सरकार ने संघठक कॉलेज प्रदान किए हैं। इसके चलते तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा खुद संघठक कॉलेज बनाने की घोषणा की।

ना कोई प्रस्ताव, ना हुई चर्चा

विश्वविद्यालय प्रशासन सहित शहर के विद्यार्थी, शिक्षक पिछले तीस साल से संघठक कॉलेज बनाने की मांग करते रहे हैं। तकनीकी और सियासी कारणों से सरकार स्तर पर इसे कभी मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में विश्वविद्यालय ने बीते वर्ष खुद को स्वायत्तशासी मानते हुए साल 2018 में संघठक कॉलेज खोलने की योजना बनाई। तत्कालीन कुलपति प्रो. सिंह का 20 अप्रेल को कार्यकाल खत्म हो गया, लेकिन प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया है।

शुरू होनी है स्टार्ट अप योजना

उद्यम लगाने के इच्छुक विद्यार्थियों अथवा नौजवानों को विश्वविद्यालय ने स्टार्ट अप योजना में सहयोग देने की योजना बनाई है। इसके तहत प्रोजेक्ट का विश्वविद्यालय का दल तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परीक्षण करेगा। दल की सहमति होने पर स्टार्ट अप के लिए नियमानुसार ऋण मुहैया कराया जाएगा।

यह घोषणाएं भी कागजों में
ट्रांसजेंडर्स को विभिन्न पाठ्यक्रमों में नि:शुल्क शिक्षा
-90 अथवा 95 प्रतिशत अंकों वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पढ़ाई का खर्चा
-खेलों में राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा
-विभिन्न युद्ध अथवा घटनाओं में शहीद कार्मिकों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा

पूर्व योजनाएं भी बंद
सचिन तेंदुलकर स्टेडियम बनाने का काम 2010 से ठप पड़ा है। विश्वविद्यालय आठ साल में एक ईंट भी नहीं लगा पाया है। इसके अलावा हॉकी स्टेडियम, फुटबॉल, क्रिकेट मैदान का काम भी ठप है। स्पोट्र्स की सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है।