अजमेर. ख्वाजा साहब दरगाह में मजार शरीफ पर चढ़ाए जाने वाले गुलाब के फूलों से खाद बनाए जाने पर विवाद हो गया है। इसके विरोध में लामबंद हुए खादिमों ने सोमवार को खाद बनाने के लिए दरगाह कमेटी को फूल नहीं सौंपे। दरगाह कमेटी ने हाल ही कायड़ विश्राम स्थली में यह कार्य वेदान्ता ग्रुप की मदद से शुरू किया है।
इस संबंध में दरगाह स्थित मकबरे में खादिमों की एक बैठक हुई। इसमें कहा गया कि ख्वाजा साहब के पवित्र मजार पर देश व दुनिया से आने वाले जायरीन अपनी अकीदत और श्रद्धा से फूल पेश करते हैं। मजार शरीफ पर गुलाब के फूल पेश करने के बाद इनका महत्व बहुत अधिक हो जाता है। सभी अकीदतमंद इन फूलों को श्रद्धा के साथ प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है।
जो भी जायरीन जियारत करने आता है खादिम उसे जियारत कराने के बाद पवित्र मजार पर चढ़ाए गए फूल देते है। जिन्हें अकीदतमंद अपने साथ घरों में ले जाते है तथा परिवारजनों को तबर्रूक के रूप में देते है। ऐसे श्रद्धा से जुड़े फूलों का दरगाह कमेटी अनादर कर उनसे खाद बनाने का कार्य कर रही है जिससे खादिमों के साथ.साथ स्थानीय मुसलमानों व दरगाह में आने वाले श्रद्धालुओं की अकीदत पर गहरा आघात हो रहा है।
बैठक में शमीम नियाजी, अंजुमन सैय्यद जादगान के सदस्य मुनव्वर चिश्ती, शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, सैय्यद जावेद चिश्तीए हसन हशमी, मुनव्वर अली, पीर नफीस मियां चिश्ती, अब्दुल नईम खान, युनुस हाशमी, इस्हाक चिश्ती, हसन चिश्ती, नजरे मोइन, पार्षद अमाद चिश्ती, बशीर जमाली, मुन्ना नियाजी, मुकदम मदनी, सलाउद्दीन चिश्ती, आजम महाराज आदि मौजूद थे।
बैठक में इस बात पर भी एतराज जताया गया कि केन्द्र सरकार के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी स्वयं अजमेर आए और विश्रामस्थली में किए जा रहे इस कार्य का एमओयू दरगाह कमेटी के अध्यक्ष से हस्ताक्षर करवाया। खादिमों ने कहा कि पवित्र मजार से उतरने वाले फूलों का दरगाह कमेटी वर्षो से निस्तारण करती आ रही थी। इसके लिए अंदरकोट स्थित बावड़ी में फूलों को ठंडा किया जाता रहा है। यदि दरगाह कमेटी फूलों का आदर से निस्तारण नहीं करा सकती तो खादिम स्वयं फूलों को अदब के साथ अपनी देखरेख में फूलों को अपनी निजी जमीन में ठंडा कराएंगे। इसके लिए खादिम जावेद चिश्ती ने अपनी निजी जमीन उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया।
खादिमों के द्वारा सोमवार को दोपहर में ख्वाजा साहब के आस्ताने में होने वाली खिदमत की रस्म के बाद फूलों को उठाकर अपने हुजरे में रखवा दिया। परम्परा के अनुसार खादिम आस्ताने से फूल निकालकर इबादतखाने में पहुंचाते है उसके बाद दरगाह कमेटी के कर्मचारी इन्हें ले जाकर निस्तारित करते है लेकिन सोमवार को खादिमों ने फूल जमा कर अपने हुजरे में एकत्र कर लिए और इन्हें अपने स्तर पर निस्तारित कराया।
कुछ खादिमों के विरोध की जानकारी मिली है। खादिमों को खाद शब्द पर ऐतराज है। मामले की जानकारी कराने के बाद अंजुमन अपने स्तर से दरगाह कमेटी व मंत्रालय से संपर्क कर कार्यवाही कराएगी।
.वाहिद हुसैन अंगारा शाहए सचिव अंजुमन सैय्यद जादगान।
खाद बनाने का निर्णय खादिमों की दोनों संस्थाओं की सहमति से हुआ था। दरगाह कमेटी को तो खादिम समुदाय फूल देता हैए उसे कायड़ विश्राम स्थली तक पहुंचाने का काम करती है। खादिमो ंसे संवाद पर समाधान निकाला जाएगा। विश्रामस्थली पर बनने वाला खाद पूरी तरह से पवित्रता के साथ बनाया जाता है उसे पूरे ऐहतराम के साथ पैक किया जाता है। बेअदबी का तो सवाल ही नहीं उठता। दरगाह कमेटी ख्वाजा साहब के अकीदतमंदों की भावनाओं का पूरा ख्याल रखती है।