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Big Issue: यह कन्वोकेशन है या राजनैतिक सभा, परम्पराएं भूल रहे हैं सरकार के मंत्री

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mdsu convocation

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रक्तिम तिवारी/अजमेर। प्रदेश के विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह अब राजनैतिक 'मंच बनने लगे हैं। मंत्रियों और विधायकों में राज्यपाल के साथ मंच पर बैठने की होड़ चल पड़ी है। यह स्थिति महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्याल के नवें दीक्षान्त समारोह में भी नजर आने वाली है। जबकि पूर्व में दीक्षान्त समारोह में परम्पराओं का विशेष ख्याल रखा जाता रहा है।

केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज और अन्य संस्थाओं में दीक्षान्त समारोह होते हैं। यह किसी भी संस्था का भव्य आयोजन होता है। साथ ही संबंधित संस्थान के परिसर की गरिमा बढ़ाता है। देश-दुनिया से विद्यार्थी, शोधार्थी, अतिथि परिसर को देखने और समारेाह में शामिल होने आते हैं। दीक्षान्त समारोह के लिए सभी विश्वविद्यालयों और संस्थाओं ने कुछ परम्पराएं बनाई हैं।

बैठते रहे सिर्फ कुलाधिपति और कुलपति
राज्यपाल सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। लिहाजा दीक्षान्त समारोह उनकी सदारत में होता है। महर्षि दयानंद सरस्वती सहित सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में बरसों तक कुलाधिपति और कुलपति ही मंच पर बैठते रहे हैं। समारोह में किसी नामचीन हस्ती को विशेष वक्ता के बतौर बुलाए जाने पर उन्हें भी स्थान दिया जाता रहा है। इनके अलावा मंच पर किसी को स्थान नहीं दिया जाता।

बन गए राजनैतिक मंच
संस्थाओं में पिछले 10-12 साल में हुए दीक्षान्त समारोह राजनैतिक मंच बन गए हैं। सभी विश्वविद्यालयों में राज्यपाल और कुलपति के साथ-साथ उच्च शिक्षा मंत्री, संबंधित क्षेत्र के विधायक, संसदीय सचिव और राज्य/उपमंत्री भी मंच पर बैठने लगे हैं। जबकि दीक्षान्त समारोह में सिर्फ राज्यपाल, कुलपति और विशेष वक्ता ही भाषण देते हैं। दीक्षान्त समारोह के प्रोटोकॉल में सरकार के मंत्री, विधायकों को बोलने की अनुमति भी नहीं मिलती है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में भी यही स्थिति बन चुकी है।

..तब हुआ था अंदरूनी विवाद

साल 2004 में विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षान्त समारोह हुआ था। इसमें तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटील (बाद में राष्ट्रपति), पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी शामिल हुए थे। इसी समारोह में पूर्व उच्च और स्कूल शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी भी मंच पर बैठे। मौजूदा शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी (तब स्कूल और तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री) को मंच पर बैठाने को लेकर विश्वविद्यालय में अंदरूनी विवाद हो गया था। उन्हें मंच पर बैठाने को लेकर कई अफसरों और भाजपा नेताओं ने ऐतराज किया था।


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