यह था मामला वादी मकान मालिक के वकील आयुष गोपालकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि अदालत में चांदी का कुआं लाखन कोटड़ी निवासी भंवरी देवी ने उसके स्वामित्व के मकान को खाली कराने के लिए 1974 में अतिरिक्त मुंसिफ पश्चिम (अब सिविल न्यायाधीश दक्षिण) में दीवानी वाद किराएदार पोलू के खिलाफ दायर किया था। प्रकरण में सुनवाई के बाद अदालत ने मकान मालिक के पक्ष में दावा डिक्री कर दिया। किराएदार की अपील सैशन कोर्ट में 2002 में खारिज होने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा। जहां 2019 में अपीलार्थी के विरुद्ध खारिज हो गया। इस बीच वादी मकान मालिक ने अदालत में 2014 में डिक्री की पालना के लिए इजराय लगा दी। जिस पर कमला नामक महिला ने आपत्ति दर्ज करा विवादित संपत्ति का 2019 में बेचान होना बताया। जबकि वो संपत्ति बेचना साबित नहीं कर सकी।
कोर्ट नाजिर पहुंचे, सौंपा कब्जा मंगलवार को अदालत के आदेश के बाद कुर्की कब्जा वारंट लेकर नाजिर राजेश जैन ने वाद ग्रस्त संपत्ति को मामूली विरोध के बीच खाली करवाकर कब्जा मकान मालिक डिक्रीदार गिरधारी को सौंप दिया। इस दौरान पुलिस जाप्ता भी मौजूद रहा।