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रक्तिम तिवारी/अजमेर.
लॉ कॉलेज की स्थिति ‘ इधर कुआं और उधर खाई ’ वाली हो गई है। एक तरफ नए सत्र के दाखिलों का अता-पता नहीं है। दूसरी ओर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से सम्बद्धता पत्र भी जारी नहीं हुआ है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया और सरकार ने जल्द फैसला नहीं किया तो कॉलेज की मुसीबतें बढ़ेंगी।
लॉ कॉलेज को 15 साल से बार कौंसिल ऑफ इंडिया से स्थाई मान्यता नहीं मिल पाई है। कॉलेज प्रतिवर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का सम्बद्धता पत्र, निरीक्षण रिपोर्ट और पत्र भेजना है। पिछले सत्र में भी कॉलेज ने यह रिपोर्ट भेजी। उधर सरकार ने भी संसाधनों और शिक्षकों की पूरी करने के लिए अंडर टेकिंग थी। उसके बाद ही बीसीआई ने अक्टूबर में प्रथम वर्ष के प्रवेश की इजाजत दी। यह अवधि 30 अप्रेल को खत्म हो गई है।
इधर के रहे ना उधर के
बीसीआई को दी गई अंडर टेकिंग के अनुसार सरकार को अजमेर सहित अन्य लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य, पर्याप्त व्याख्याता और स्टाफ और संसाधन जुटाने है। इन्हें पूरा किए बिना सत्र 2019-20 में बीसीआई दाखिलों की मंजूरी नहीं देगा। गुजरे चार सत्र से इन्हें कारणां से प्रथम वर्ष के प्रवेश में विलम्ब हो रहा है।
शिक्षकों की कमी यथावत
यूजीसी के नियमानुसार किसी भी विभाग में एक प्रोफेसर, दो रीडर और तीन लेक्चरर होने चाहिए। लॉ कॉलेज में प्राचार्य सहित छह शिक्षक हैं। यहां के दो शिक्षक निदेशालय में डेप्युटेशन पर तैनात हैं। बीकानेर से एक रीडर का तबादला अजमेर हुआ है। उन्होंने अब तक पदभार नहीं संभाला है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं।
Published on:
26 May 2019 06:33 am
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