
अयोध्या नगरी का सचित्र नक्शा साथ लेकर लौटते थे श्रद्धालु
दिलीप शर्मा
सदियों से अयोध्या लोगों की आस्था का प्रतीक रहा है। लोग जब अयोध्या जाते थे तो नगरी का सचित्र नक्शा साथ लेकर लौटते थे। यह नक्शा हाथ से बनाई गई पेंटिंग है। इस नक्शे में सरयू नदी से लेकर सभी भवनों के चित्र उनके नामों को इंगित करते हुआ करते हैं।अयोध्या नगरी के भवनों का उल्लेख
अयोध्या के नक्शे में संबंधित स्थलों सरयू नदी, अयोध्या के राजमहल, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, अयोध्या नाथ का मंदिर, सीताजी की रसोई, बड़ी छावनी, रघुनाथ बाबा का मंदिर, राजेश्वरी सीता का मंदिर, हरिजप कुंड, राम कुंड, सीता कुंड, लक्ष्मी कुंड, नरसिंह मंदिर, दरबार साहब रघुनाथ की कचहरी, काली मंदिर, राम, सीता, राम, हनुमान के चित्र अंकित हैं। राम जन्मभूमि को विशेष स्थल के रूप में दर्शाया हुआ है और जन्म भूमि शब्द अंकित किया हुआ है। सभी स्थलों के नाम हिंदी के साथ-साथ फारसी में भी लिखे गए हैं। विवादित ढांचे गिराए जाने से पूर्व के तीनों गुम्बद भी दर्शित हैं।
चौथी पीढ़ी ने रखा नक्शा संजोकरअजमेर विरासत सेवा संस्थान के बी. एल. सामरा ने बताया कि उनके पड़दादा मेवाड़ के चिताम्बा ठिकाने के कामदार मनरूप शाह अयोध्या से करीब 200 साल पहले इसे लाए थे। इसे उन्होंने आज भी विरासत के रूप में संजोकर रखा है। सामरा पूर्वजों की कला साधना के नायाब नमूने, हजारों पांडुलिपियां, हस्तलिखित ग्रंथ इत्यादि का संग्रह पिछले 50 वर्षों से कर रहे हैं।
Published on:
23 Jan 2024 12:20 am
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