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सोमलपुर गांव के बच्चे सेना में शामिल होने का देखते हैं सपना

शहीद देबीखान के नाम से होती है गांव में कबड्डी प्रतियोगिता, वर्ष 2005 में शहीद देबीखान चीता ने छह आतंकियों को ढेर कर की सरहद की थी रक्षा

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Indian Army

सोमलपुर गांव के बच्चे सेना में शामिल होने का देखते हैं सपना

चन्द्र प्रकाश जोशी

Ajmer अजमेर. 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले...Ó की पंक्तियां अजमेर जिले के सोमलपुर (Somalpur)गांव में चरितार्थ हो रही है। यहां शहीद देबीखान के स्मारक (मजार) पर हर वर्ष मेला लगता है, इस मेले में कबड्डी सहित शौर्य प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। गांव के बच्चे पढ़ाई के साथ सेना में जाने का सपना देख लेते हैं। किशोर एवं युवा होते-होते सेना भर्ती में शामिल हो जाते हैं। छोटे से गांव से भारतीय सेना (Indian Army)में जाकर देश सेवा करने का जुनून यहां के युवाओं पर आज भी चढ़ा हुआ है। अजमेर (Ajmer) से कुछ दूर स्थित ग्राम सोमलपुर के लाडले शहीद देबीखान चीता का नाम बच्चा बच्चा जानता है। शहीद देबीखान भारतीय सेना में 14 ग्रेनेड में बतौर हवलदार सरहद (Border) की सुरक्षा में कुपवाड़ा (कश्मीर) में तैनात थे। 25 मई 2005 में कुपवाड़ा में आतंकवादियों ने घुसपैठ का प्रयास करते हुए भारतीय सेना के जवानों पर हमला बोल दिया था, शहीद देबी खान ने एक-एक कर छह आतंकवादियों को ढेर कर दिया। देश की सरहद की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक आतंकवादियों का सामना किया। इस ऑपरेशन में उन्हें भी गोली लग गई। उन्हें घायलावस्था में सेना के हॉस्पिटल से दिल्ली लाया गया जहां इलाज के दौरान वे शहीद हो गए। शहीद के परिवार में पत्नी नैना बानो, पुत्र मोहम्मद ईशाक खान एवं बेटी शहीदा बानो हैं।

शहीद का पुत्र ईशाक खान बताता है कि उसे भी भारतीय सेना में भर्ती होना है। ईशाक पिता का सपना पूरा करना चाहता है। इसी तरह कई युवा अभी भी सेना में भर्ती के लिए तैयारी कर रहे हैं। उनके भाई मदारी के अनुसार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का नाम भी शहीद देबी खान चीता के नाम कर दिया गया है।

25 युवा कर रहे हैं भर्ती की तैयारी, कई हैं फौज में

चन्द्रवरदाई स्टेडियम व डिफेन्स कोचिंग सेन्टरों पर वर्तमान में 25 से अधिक युवा सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। इसमें फिजिकल के साथ लिखित परीक्षा को लेकर युवा जुटे हुए हैं। यही नहीं वर्तमान में कई लोग भारतीय फौज में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं सरकार की ओर से यहां स्कूल का नामकरण भी शहीद देबी खान राउमावि के नाम से कर दिया है। शहीद के स्मारक (मजार) से भी युवाओं में देश सेवा का जज्बा एवं जोश पैदा हो रहा है।


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