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अजमेर. जयपुर के एक न्यायिक कर्मचारी सुभाषचंद मेहरा की मौत के मामले में गत 11 दिनों से आंदोलन पर चल रहे न्यायिक कर्मचारियों के कारण पक्षकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दीवानी मामलों संबंधी आवश्यक प्रकृति के स्टे या बहस जैसे प्रकरण में सिर्फ तारीख पड़ रही हैं। वहीं फौजदारी मामलों में इस्तगासों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने तथा जमानत आदि की अर्जियों पर सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही। हड़ताल खत्म होने के बाद भी इसका असर करीब दो माह तक रहना माना जा रहा है।
पड़ रही कॉमन डेट
वकील वैभव जैन, शंकर ढिल्लीवाल, अजय प्रताप ने बताया कि हड़ताल की अवधि में कॉमन डेट पड़ रही है। ऐसे में अदालतें खुलने पर इन पत्रावलियों को कॉमन डेट के अनुसार संबंधित तिथि पर सुनवाई होगी।
ऐसे पड़ेगा असर
हड़ताल के दौरान दी जा रही कॉमन डेट पर ही पूर्व के मामलों में भी यदि पहले से ही तारीख पेशी दी गई है तो कॉमन डेट की पत्रावलियां भी उसी दिन ही पेश होंगी। जिससे हड़ताल के दौरान के मामलों का अतिरिक्त कार्यभार अदालत पर पड़ेगा। वकीलों का कहना है कि अदालती कामकाज पटरी में आने में करीब एक से दो माह लगेंगे। आवश्यक प्रकृति या मियाद संबंधी प्रकरण न्यायिक अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर उसका इंद्राज करवा देते हैं जिससे पक्षकार को नुकसान न हो सके।
55 हजार केस में सिर्फ तारीख बदली
गौरतलब है कि जयपुर के एक न्यायिक कर्मचारी सुभाषचंद मेहरा की मौत के मामले में न्यायिक कर्मचारी 12 दिन से सामूहिक अवकाश पर हैं। अजमेर जिले में ही अब तक 55 हजार से अधिक प्रकरणों में केवल पेशियां ही बदली हैं।
Published on:
11 Dec 2022 12:28 am
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