
examiner write controversal words in copy
परीक्षक ही छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के एक परीक्षक ने होनहार छात्र को बी.एड पार्ट प्रथम के इतिहास विषय में फेल कर दिया।
उसने महज चार नंबर देकर कॉपी पर 'अंदर गालियां लिखी हैं की टिप्पणी भी कर डाली। हताश विद्यार्थी की छह महीने से कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है।
छात्र अशोक कुमार नागौर के हिंदी पब्लिक टी.टी. कॉलेज से बी.एड कर रहा है। पिछले वर्ष उसने 3 अगस्त को बी.एड पार्ट प्रथम के इतिहास का पेपर दिया। गत 8 नवम्बर को मदस विवि ने बी.एड पार्ट प्रथम का नतीजा घोषित किया।
इसमें उसको इतिहास के पेपर में महज 4 नंबर दिए गए। छात्र ने सूचना के अधिकार में अपनी कॉपी निकलवाई। कॉपी देखते ही वह चकरा गया।
जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल
छात्र अशोक ने बताया कि उसने कॉपी का बारीकी से खुद मूल्यांकन किया। इसमें सभी प्रश्नों पर नीले और लाल पेन से क्रॉस लगे मिले। इस कॉपी के आठवें पेज पर केवल चार नंबर दिए गए हैं।
इसके अलावा परीक्षक ने प्रथम पेज पर 'अंदर गालियां लिखी हैं टिप्पणी कर रखी है। जब उसने पुनर्मूल्यांकन का फार्म भरा तो उसमें नंबर तो बढ़ गए। लेकिन मार्कशीट में नंबर नहीं बढऩे से परिणाम नहीं बदला।
छह महीने से सुनवाई नहीं
अशोक ने बताया कि अव्वल तो विवि ने सूचना के अधिकार में विलंब से कॉपी दी। इसके अलावा पुनर्मूल्यांकन परिणाम मार्च में घोषित किया। छह महीने से उसके मामले की सुनवाई नहीं हो रही। उसकी कॉपी की ढंग से जांच और दोबारा परिणाम समय पर नहीं निकाला गया तो वह 16 मई से शुरू होने वाली बी.एड की परीक्षा नहीं दे पाएगा।
परीक्षक नहीं देते अंदर अंक
विवि के निर्देशों के बावजूद परीक्षक स्नातक और स्नातकोत्तर कॉपियों के पेजों पर नंबर नहीं देते। परीक्षक उत्तरों की जांच कर सीधे प्रथम पेज पर ही नंबर दे रहे हैं। ऐसे मामले कई बार सामने आ चुके हैं।
छात्र अपनी इतिहास की कॉपी और अंकतालिका लेकर मिला था। उसकी कॉपी में क्रॉस और परीक्षक की टिप्पणी लिखी हुई है। छात्र का पिछला रिकॉर्ड भी ठीक है। कॉपी पर प्रथमदृष्ट्या में कहीं गालियां लिखी नहीं है। फिर भी इसकी पुख्ता जांच कराई जाएगी। परीक्षक दोषी हुआ तो उसको डिबार किया जाएगा।
-डॉ. जगराम मीणा, परीक्षा नियंत्रक मदस विवि
Published on:
20 Apr 2017 05:19 am
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