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जालसाजी: पिता के नाना को दादा बताकर बनवाया मृत्यु प्रमाण-पत्र

तहसीलदार प्रीति चौहान के आदेश पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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अजमेर

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Manish Singh

Oct 14, 2021

जालसाजी: पिता के नाना को दादा बताकर बनवाया मृत्यु प्रमाण-पत्र

जालसाजी: पिता के नाना को दादा बताकर बनवाया मृत्यु प्रमाण-पत्र

अजमेर. शपथपत्र में पिता के नाना को स्वयं का दादा बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने का मामला सामने आया है। सिविल लाइन थाना पुलिस ने तहसीलदार व कार्यपालक मजिस्ट्रेट की जांच के निर्णय के आदेश पर मंगलवार को आरोपी केखिलाफ धोखाधड़ी व जाली दस्तावेज बनाकर आवेदन करने का मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस के अनुसार कवंडसपुरा निवासी राजेश गोयल ने सहायक कलक्टर के समक्ष प्रकरण में शिकायत की। शिकायत पर तहसीलदार व कार्यपालक मजिस्ट्रेट प्रीति चौहान की जांच में आरोप साबित पाए। जांच में छोटा चौधर मौहल्ला निवासी सुशीलकुमार पर झूठा शपथ पत्र पेशकर मृत्यु प्रमाण पत्र लेना पाया गया।

यूं की जालसाजी
आरोपी ने पिता के नाना को दादा बताकर 10 अप्रेल 1957 को मृत्यु होने की जानकारी देते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। नगर निगम की ओर से 31 दिसम्बर 2015 को उसको मृत्यु प्रमाण पत्र जारी भी कर दिया। प्रकरण में अनुसंधान थानाप्रभारी अरविन्द सिंह चारण कर रहे है।

शिकायत पर हुई जांच में खुला मामला
फर्जी दस्तावेज से मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की शिकायत पर सहायक कलक्टर ने परिवादी राजेश गोयल व सुशील कुमार को नोटिस जारी कर 29 सितम्बर 2021 को होलीदड़ा गांधी मौहल्ला निवासी जानकीलाल पुत्र बहादुर मल की मृत्यु संबंधित पक्ष रखने के लिए बुलाया। 30 सितम्बर को दोनों पक्ष को सुना गया। सुनवाई के वक्त 31 दिसम्बर 2015 को जारी जानकीलाल के मृत्यु प्रमाण पत्र के दस्तावेज देखे गए। आवेदन पत्र में आरोपी का शपथ पत्र में मृतक जानकीलाल से दादा का रिश्ता अंकित था जबकि जानकीलाल उसके पिता नौरतमल के नाना हैं। न्यायालय में पेश सुशील कुमार के पारिवारिक सजरे में दादा का नाम अणतमल कंदोई है। प्रकरण में परिवादी के परिवारिक पंडित सत्यनारायण की ओर से दिए गए शपथ पत्र में जानकीलाल की मृत्यु 21 जून 1958 को होना बताई गई। सुशील कुमार ने गलत सूचनाएं इन्द्राज कराते हुए तथ्य छिपाकर रखते हुए 31 दिसम्बर 2015 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवाया। सहायक कलक्टर ने 3 फरवरी 2016 को सुशील कुमार की ओर से तथ्य छिपाकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवाए जाने को गम्भीर मानते हुए प्रमाण पत्र को निरस्त करने के आदेश देने के साथ ही प्रशासन को गुमराह करने पर मुकदमा दर्जकर कार्रवाई के आदेश दिए गए।